गद्दारी होने के कारण ही उनके पूर्वजों को युद्ध में मिली थी हार
पानीपत के तीसरे युद्ध के 259 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बाजीराव मस्तानी के वंशज नवाब शादाब अली बहादुर भी अपने पुत्र प्रिस अरबाब अली बहादुर के साथ शौर्य दिवस पर पहुंचे।
जागरण संवाददाता, पानीपत :
पानीपत के तीसरे युद्ध के 259 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बाजीराव मस्तानी के वंशज नवाब शादाब अली बहादुर भी अपने पुत्र प्रिस अरबाब अली बहादुर के साथ शौर्य दिवस पर पहुंचे। उन्होंने अपने पूर्वजों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वो देश भर से आए मराठा वंशजों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहे और हर कोई उनके साथ फोटो खिचवाने के साथ सेल्फी लेता दिखा।
गद्दारी के कारण ही हारे थे मराठा
नवाब शादाब अली बहादुर ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश की खातिर जो कुर्बानी दी है, उस पर हमें फर्क है। उनकी बदौलत हमें यहां आने का अवसर प्राप्त होता है। हम यहां उन्हें श्रद्धांजलि दे बलिदान को याद करके भावुक हो जाते है। नवाब ने कहा कि कुछ अपनी कुर्सी बचाने के लिए गद्दारी कर जाते हैं। गद्दार बाहर से नहीं आते है। वो देश के अंदर ही है। वो किसी भी धर्म में हो सकते है। हमारे पूर्वजों के साथ भी कुछ राजा सहयोग का वादा करके कुर्सी बचाने के लिए गद्दारी कर गए थे। इसी कारण युद्ध में हार मिली थी। उन्होंने कहा कि हम सब एक है। हमारा डीएनए एक है। धर्म और जाति के चक्कर में न पड़े। सभी मिलकर रहे और देश को आगे बढ़ाएं।
बाजीराव के हैं वंशज
-श्रीमंत बाजीराव पेशवा
-सरदार शमशेर बहादुर (27) साल की उम्र में तीसरे युद्ध में शहीद हो गए थे।
-अली बहादुर नवाब बांदा
-नवाब जुलफकार बहादुर
--नवाब अली बहादुर (दूसरे) (1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मी बाई का साथ दिया था)
-नवाब शमशेर बहादुर (दूसरे)
-नवाब सैफ अली बहादुर
-नवाब अशफाक बहादुर
-नवाब शादाब अली बहादुर
-प्रिस अरबाब अली बहादुर