सवालों के घेरे में दूध वितरण योजना, दो महीने से कुरुक्षेत्र के 55 हजार बच्चों को नहीं भेजा गया दूध
शिक्षा विभाग का कहना है कि सभी बच्चों को मिड डे मील व फ्लेवर्ड मिल्क बांट दिया गया है। वहीं सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने कहा कि सूखा दूध अक्तूबर के बाद नहीं भेजा गया है। दिसंबर तक बच्चों को मिड-डे-मील तो मिला है लेकिन फ्लेवर दूध नहीं दिया गया।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। सर्दी शुरू हो चुकी है, लेकिन पहली से 8वीं कक्षा तक के लगभग 55 हजार 221 बच्चों को मिड डे मील के तहत सप्ताह में तीन दिन मिलने वाला फ्लेवर्ड मिल्क दो माह से शिक्षा विभाग ने नहीं भेजा है। दिसंबर माह का राशन भेजा गया है। जो टीचर्स बांट रहे हैं।
शिक्षा विभाग और स्कूलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर
डीईईओ सतनाम सिंह भट्टी का कहना है कि मिल्क की डिमांड सरकार को भेजी जाती है। उसी अनुसार सभी पहली से 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को बांट दिया जाता है। शिक्षा विभाग की ओर से सभी बच्चों को मिड डे मिल व फ्लेवर्ड मिल्क बांट दिया गया है। वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने विभाग पर आरोप लगाया कि सरकार की ओर से मिड डे मील के तहत मिलने वाला सूखा दूध अक्तूबर के बाद नहीं भेजा गया है।जबकि विभाग की ओर से प्रत्येक विद्यार्थी के घरों में राशन दिसंबर का वितरित किया जा रहा है। सूखा दूध न मिलने से स्कूलों में विद्यार्थी सूखे दूध की मांग कर रहे हैं। विभाग की ओर से मिड डे मील के तहत 24 अक्टूबर से 30 नवंबर तक की कुकिंग कॉस्ट भी विद्यार्थियों के खाते में डाली जा चुकी है।
विद्यार्थियों को ये दी जा रही कुकिंग कॉस्ट
प्राइमरी कक्षा में प्रति विद्यार्थी कुकिंग कॉस्ट 4.97 पैसे, अपर प्राइमरी प्रति विद्यार्थी 7.45 पैसे के हिसाब से खाते में दी जा रही है। प्राइमरी क्लास प्रति विद्यार्थी कुल 149.1 रुपये, अपर प्राइमरी में प्रति विद्यार्थी कुल राशि 223.5 रुपये डाले जाते हैं।
नहीं मिल पा रहे पोषक तत्व
विद्यार्थियों को दूध न मिलने से पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को दिया जाने वाला सूखा दूध फैट रहित होता है। इसमें 64 फीसदी स्किम्ड दूध फैट रहित, 33 फीसदी शुगर, तीन फीसदी फ्लेवर डालकर तैयार किया जाता है।