हाथ मिलाने या कोई चीज छूने पर लगता है करंट, डरें नहीं, इसलिए होता है ऐसा
विज्ञान की भाषा में इसे स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं। यह घर्षण के कारण डेवलप होती है। इससे बॉडी में चार्ज आ जाता है। जब हम किसी गाड़ी को छुएंगे तो हमारी बॉडी में जो चार्ज होगा वह गाड़ी के जरिये अर्थ में जाएगा। उसमें करंट का अहसास होगा।
जींद, जेएनएन। आजकल काफी लोगों को अपनी बॉडी में करंट का अहसास हो रहा है। जब वह किसी चीज को छूते हैं तो ऐसा लगता है कि करंट आ गया। कोई आदमी उनसे हाथ मिलाता है तो उसे ऐसा लगता है कि उसे करंट लग गया। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, इससे डरने की जरूरत नहीं है।
रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ रमेश चहल बताते हैं कि विज्ञान की भाषा में इसे स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी कहते हैं। यह फ्रिक्शन के कारण डेवलप होती है। इससे बॉडी में चार्ज आ जाता है। यानी जूते थोड़े से भी कंडक्टिंग हों तो बॉडी का चार्ज डिवेलप होकर साथ-साथ अर्थ में निकल जाता है। यदि जूते का सोल यानी तला कंडक्टिंग न हो तो चार्ज नहीं निकलता और वह कोई दूसरा रास्ता ढूंढता है। इसी कारण जब हम किसी गाड़ी को छुएंगे तो हमारी बॉडी में जो चार्ज होगा वह गाड़ी के जरिये अर्थ में जाएगा तो उसमें करंट का अहसास होगा।
ऐसे बनता है बॉडी में चार्ज
करंट का मतलब चार्ज का चलना ही होता है। चार्ज चलता है उसी को करंट कहते हैं। यह चार्ज हमारी बॉडी पर आने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे सिंथेटिक कपड़े हम डाल रहे हैं तो उससे भी चार्ज आ जाता है। सोफे पर बैठ कर थोड़ा इधर-उधर होते हैं उसे घर्षण होगा तो चार्ज आ जाता है। वह चार्ज बॉडी के थ्रू अर्थ को ट्रांसफर होता है, उसे करंट महसूस होता है। यह नेचुरल प्रोसेस है। यह कई चीजों में डेवलप होता है। जैसे तेल टैंकर के आगे मेटल की चेन बांधी होती है। यह इसी कारण लटका रखी होती है कि बॉडी में चार्ज इकट्ठा होकर स्पार्किंग होगा तो उनमें आग न लग पाए। बॉडी पर एयर फ्रिक्शन के कारण चार्ज आ जाए तो अर्थ में ट्रांसफर होता रहे और उसमें स्पार्किंग न हो।
सर्दी में ज्यादा लगता है करंट
सर्दी के समय इस तरह के करंट का आभास ज्यादा होता है। हालांकि यह हर समय चलने वाला रूटीन प्रोसेस है। सर्दी में जब हम ऊनी कपड़े निकालते हैं, उसमें भी चरड़ चरड़ की आवाज आती है और करंट महसूस होता है। रमेश चहल बताते हैं कि 12वीं की पहली यूनिट में इस बारे में पढ़ाया जाता है कि फ्रिक्शन के कारण डिवेलप होने वाला चार्ज कैसे अर्थ को ट्रांसफर होता है।
हर आदमी के अंदर होता है चार्ज
यह एक सामान्य प्रक्रिया है। लोगों को इससे कतई डरने की जरूरत नहीं है। हर आदमी के अंदर चार्ज डेवलप होता है और वह किसी न किसी तरीके से अर्थ में ट्रांसफर होता रहता है। कई बार जब उसे किसी चीज के जरिये अर्थ में ट्रांसफर होने का साधन नहीं मिलता, तब वह गाड़ी को छूने या किसी से हाथ मिलाने या किसी दूसरी चीज के थ्रू वह अर्थ में ट्रांसफर होता है। उसमें हमें करंट का अहसास होता है।