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पानीपत में आंबेडकर मूर्ति को लेकर विवाद, दो पक्षों में झड़प

पानीपत के काबड़ी में आंबेडकर की मूर्ति की जगह को लेकर विवाद हो गया है। दो पक्षों में झड़प हो गई। मौके पर प्रशासन और पुलिस पहुंची। इसके बाद मामला पंचायत में चला गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 06:04 PM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 06:04 PM (IST)
पानीपत में आंबेडकर मूर्ति को लेकर विवाद, दो पक्षों में झड़प
पानीपत में आंबेडकर मूर्ति को लेकर विवाद, दो पक्षों में झड़प

पानीपत, जेएनएन। पानीपत के काबड़ी गांव में आंबेडकर मूर्ति की जगह पर दो पक्षों में तनाव की स्थिति बन गई है। महिलाओं के बीच झड़प भी हुई। एक पक्ष के लोग विरोध जताने लघु सचिवालय पहुंचे। दूसरे पक्ष के लोग गांव में ही धरने पर बैठ गए। अब पंचायत कर समाधान का रास्ता निकाला जा रहा है। 

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बीते एक पखवाड़े से गांव में कश्यप समाज व भीम आर्मी के सदस्यों के बीच तनातनी का माहौल है। एक सप्ताह पहले मॉडल टाउन थाने में एसएचओ सुनील कुमार, सरपंच ससुर रामनिवास रावल और ब्लॉक समिति के चेयरमैन प्रदीप चौहान की मौजूदगी में विवाद खत्म करने को लेकर पंचायत हुई थी। मामला सुलझा लिया गया था। लघु सचिवालय में डीडीपीओ से मिलने पहुंचे नफे सिंह, रवि, रामनिवास, अनिल, दिलबाग, प्रवीण, सागर, बलिंदर, रविंद्र, धर्मो, कमली, रेखा, संतोष, नीता, बाला व प्रसन्नी ने बताया कि बीस वर्ष पहले कश्यप समाज को चौपाल के लिए जगह मिली थी। प्रशासन को आश्वासन दे चुके हैं कि चौपाल वाली जगह पर आंबेडकर की मूर्ति को मान सम्मान से रखेंगे। भीम आर्मी से जुड़े नेमपाल उनकी बातों से सहमत नहीं हैं। डीडीपीओ ने उन्हें सोमवार को कार्यालय में बुलाया था। लघु सचिवालय आने की बजाय दूसरे पक्ष ने मूर्ति वाले स्थल पर चिनाई शुरू करवा दी है। 

संवाद सहयोगी काबड़ी के मुताबिक विवादित स्थल पर सुबह से दोपहर तक धरना प्रदर्शन जारी रहा। मूर्ति के समर्थन में आई एक महिला एडवोकेट से कश्यप समाज की महिलाओं के बीच खूब बहस हुई। हाथापाई की नौबत आ गई। एसएचओ सुनील कुमार और डीएसपी संदीप सिंह भी मौके पर पहुंचे। दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों थाने में पंचायत के लिए बुलाया गया। 

 Ambedkar

दोनों के अपने-अपने दावे 

दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। एक पक्ष का कहना है कि ग्राम पंचायत ने उन्हें ये जगह आंबेडकर भवन बनाने के लिए दी थी। वहीं पर मूर्ति लगाई है। इसे हटाने नहीं देंगे। दूसरे पक्ष का कहना है कि पंचायत ने उन्हें ये जगह चौपाल बनाने के लिए दी थी। जगह उनकी ही है। जहां तक की मूर्ति की बात है, उसका पूरा सम्मान करेंगे। 


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