खरी खरी: कुछ ऐसा कर कमाल की तेरा हो जाऊं.. Panipat News
करनाल में कहीं कुर्सी की चर्चा है तो कहीं गुरु की। नेता कुर्सी पर नजर टिकाएं हैं तो गुरुजी चेलों पर।
करनाल, [अश्वनी शर्मा]। कुछ ऐसा कर कमाल की तेरी हो जाऊं..प्रसिद्ध हो रहे इस गीत की पंक्तियों को कई नेता व अधिकारी उस कुर्सी को देखकर गुनगुना रहे हैं, जो चुनाव के बाद से खाली है। एक खास अधिकारी की कुर्सी रिक्त होने से सभी अपनी अपनी तरह से इस पर फिट होने की कोशिशों में हैं। कई ज्योतिषियों की शरण में जाकर उपाय करवा रहे हैं तो कुछ तीर्थ पर भी जा रहे हैं कि भगवान इस बार सुन लें। संगठन से पुराने समय से जुड़े कुछ नेता अपने अपने दावे पेश कर रहे हैं तो कुछ अधिकारी भी चाहते हैं कि इस बार सेवा का मौका उन्हें मिल जाए। खैर सेवाभाव के नाते लगी कतार लंबी हो जाती जा रही है। खरी खरी बात यह है कि सेवा के लिए कुर्सी की जरूरत नहीं है, यह तो चरित्र से पैदा होना वाला गुण है। इसलिए कुर्सी का मोह छोड़ कर सेवा में लगें तो बात बनें।
हां तो गुरु मार हुए चेले
एक गुरु जी हैं। उन्हें चेले बहुत पसंद हैं। एक आवाज मारी नहीं कि एक साथ दो चेले दौड़े हुए आने चाहिए। पेशे से लेखक हैं, मिजाज से कवि हैं। खाली समय में बुद्धिजीवियों के साथ गप्पे हांकने का शौक रखते हैं। लेकिन जहां जाते हैं, वहां दो चेले होने चाहिए। यदि तो दो चेले साथ नहीं है तो मजबूरी में एक से काम चलाते हैं। इनकी यह फितरत अब इनका मार्क लेबल बन गया है। लेकिन आजकल चेले दगा दे रहे हैं। गुरुजी याद करते हैं तो चेलों के पास न जाने के बहाने भी हजार मौजूद हैं। जिला सचिवालय में सीढ़ियों से उतरते हुए गुरु जी से मुलाकात हो गई। देखा कि आज तो गुरु जी अकेले हैं। पूछ लिया कि सर आज अकेले ही। कहने लगे कि अब भाई अब चेले गुरु मार हो गए हैं। जिन जिन गलियों का रास्ता उन्हें दिखाया था, वहां जाकर वह खुद ही गुरु बन रहे हैं। इसलिए अब चेलों से तौबा ही कर ली है।
कहीं तो बड़ी पहुंच है, तभी तो कह दी यह बात
कुछ दिन पहले की बात है। प्रदेश के हाकिम ने करनाल के एक अहम कार्यालय पर छापा मार दिया। काम में कोताही के नाम पर अफसर सहित पांच कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी हो गए। कार्रवाई की जद में आए एक जनाब, अपनी कुर्सी पर बैठकर सफाई देने के साथ ही हुंकार भी भर रहे थे। उनका मानना था कि उन पर हुई कार्रवाई जायज नहीं है। इसी बीच में कुछ और साथी आ गए। बातचीत में कहने लगे कि अजी मैं तो खुद यहां से तबादला चाहता था। अब देखना कुछ ही दिन की बात है। एक सेंटर का नाम लेते हुए कहा कि आप देखना, वहीं पर पो¨स्टग होगी। यह सुनते ही आसपास के लोग उनकी ओर एक टक देखने लगे। क्योंकि साहब की पहुंच ऊंची ही लग रही थी।
कुछ ही दिन में गायब खुशी, फिर आए पुराने साहब
चंद माह पहले की बात है। शहर की सरकार से संबंधित एक अफसर का तबादला हो गया। कइयों ने खूब खुशी जाहिर की। मानों वह उनके जाने की प्रार्थना कर रहे थे। उनके जाने के बाद कुछ दिन खुशी में बीत गए। फिर उनकी जगह आए नए साहब के साथ ट्यूनिंग बनाने में बीत गए। इस बीच नए साहब का तबादला भी हो गया। अब उनके जाने के बाद सबसे ज्यादा दुखी वह हुए, जिन्हें पुराने साहब के जाने की खुशी हुई थी। क्योंकि झटके वाली बात यह थी कि पुराने साहब दोबारा आ गए। उनके आने के बाद यह लोग नए सिरे से अपनी अपनी रणनीति बनाने के लगे कि इस बार उन्हें कैसे खुश रखा जाए। खरी खरी यही है कि दुखी होने वाले अपना काम सही से करेंगे तो उन्हें किसी के आने या जाने पर दुख नहीं होगा।