धान की होगी बंपर पैदावार, नहीं लगेगा बकानी रोग, जानें सीधी बिजाई के फायदे
हरियाणा में कृषि विभाग लगातार सीधी बिजाई के लिए किसानों को जागरूक कर रहा है। एक तरफ जहां सीधी बिजाई पानी की बचत होती है वहीं बंपर पैदावार भी मिलती है। सीधी बिजाई से बकानी रोग धान की फसल में नहीं लगता।
अंबाला, जागरण संवाददाता। धान की प्रत्यारोपण विधि द्वारा लगातार खेती से उसी खेत में धरातल के नीचे एक सख्त परत बन जाती है। जो पौधों की प्राइमरी जड़ों को नीचे जाने पर बाधा पैदा करती है, मगर धान की सीधी बिजाई करने से यह समस्या उत्पन्न नहीं होती और जमीन की भौतिक दशा में भी सुधार होता है। धान के पौधों को प्रत्यारोपण करने के लिए जब उन्हें उखाड़ा जाता है, तब भी प्राइमरी जड़ें टूट जाती हैं और टूटी हुई जड़ों के द्वारा बकानी रोग के बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं, जिससे बकानी नामक बीमारी पैदा होती है और देखते ही देखते पूरी फसल खराब हो जाती है।
क्या है बाकनी रोग
बकानी रोग बासमती धान के पौधे में फ्यूजेरियम मोनिलिफोरमी नामक कवक से होता है। पौधशाला में रोगग्रस्त पौधा, स्वस्थ पौधे की अपेक्षा असामान्य लंबा होता है। उच्च भूमि में पौधे के बिना लंबा हुए ही तल गलन या पद गलन के लक्षण मिलते है। ऐसे पौधे कुछ दिनों में ही सूख जाते हैं। वहीं कुछ दिन में पूरे खेत के पौधे नष्ट हो जाते हैं। तीन से चार दिन के अंतराल में पूरी फसल को नष्ट कर देता है
सीधी बिजाई से नहीं होती बीमारी
धान की सीधी बिजाई पौधे की प्राइमरी जड़ें नहीं टूटती और इस प्रकार इसमें बकानी की बीमारी उत्पन्न नहीं होती। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के जिला उपनिदेशक डा गिरीश नागपाल ने बताया कि किसान को एक किलो धान पैदा करने के लिए प्रत्यारोपण विधि द्वारा लगभग 15000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। मगर धान की सीधी बिजाई में एक किलो धान पैदा करने के लिए लगभग 10000 लीटर पानी लगता यानी 5 हजार लीटर जल की बचत होती है। यदि हमें भविष्य में पानी की उपलब्धता चाहिए तो हमें पानी बचाने के तरीकों को अपनाना पड़ेगा। इसका कारगर तरीका है धान की सीधी बिजाई से ही हम जमीन में पानी के जलस्तर को बनाए रख सकते हैं।
धान की सीधी बिजाई में कतार से कतार की दूरी 22 सेंमी रख सकते हैं। धान की सीधी बिजाई में लगभग 8 से 9 किलो बीज का प्रयोग कर सकते हैं। धान के बीज का उपचार के लिए ऐमिसन एक ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से प्रयोग कर सकता है या कार्बनडेजियम 2 ग्राम प्रति किलो बीज प्रयोग करते हैं। खरपतवार नियंत्रण हेतू बिजाई के तुरंत बाद पैंडामेथिलीन 1.3 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि से पैदावर भी बम्पर होती है।
पानी एक अनमेाल विरासत है। इस विरासत को बचाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा एक महत्वकांक्षी योजना शुरू की गई है। हरियाणा सरकार द्वारा धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर आनलाइन पंजीकरण करना होगा। निश्चित तौर पर सीधी बिजाई विधि से बकानी रोग भी फसल को नहीं लगता और पैदावर भी ज्यादा होती है जबकि खर्चा व जल दोनों कम लगते हैं।
डा गिरीश नागपाल, उपनिदेशक जिला कृषि एवं कल्याण विभाग