बुजुर्गों का विस चुनाव पर अलग- अलग राग
बीडीपीओ दफ्तर के सामने बुजुर्गों की मजलिस लगी थी।
जागरण संवाददाता, समालखा :
बीडीपीओ दफ्तर के सामने बुजुर्गों की मजलिस लगी थी। चुनावी चर्चाओं के साथ कुछ लोग ताश के पत्ते फेंट रहे थे तो कुछ हुक्का पीने में मस्त थे। कुछ बुजुर्ग जजपा के तो अधिकतर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच हलके में नेक टू नेक फाइट होने की बात कह रहे थे। निवर्तमान सरकार के कार्यों की भी समीक्षा कर रहे थे। उनकी दलील थी कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हलके में काम कम हुए, जबकि ढिढ़ोरा ज्यादा पीटा गया। इससे तो इनेलो और हुड्डा सरकार ही बेहतर रही। सीएम मनोहर लाल पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं है। पहले बने अधिकतर सीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। एक पूर्व सीएम तो इस आरोप में जेल की सजा काट रहे हैं, जबकि दूसरे पर लगे आरोपों की जांच चल रही है। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार के अलावा भाई भतीजावाद का बोलबाला रहा। दूसरे बिरादरी की उपेक्षा हुई। उनके गांव में विकास कम हुए। हलके के विकास में भी भेदभाव किया गया। एक ने कहा कि भाजपा सरकार में काम भले कम हुए, लेकिन विकास कार्यों में पारदर्शिता रही। तभी तीसरे ने कहा कि सरकार भले ही जीरो टोलरेंस की बात कहे किन भ्रष्टाचार में कोई कमी नहीं आई है। अभी भी बगैर लेनदेन के सरकारी कार्यालयों में गरीबों के काम नहीं होते हैं, जबकि बगैर जांच पड़ताल के अमीरों के काम दिए जाते हैं। सबसे अंत में एक बुजुर्ग ने कहा कि सरकार के साथ रहने से ही हलके के विकास कार्य हो सकते हैं। दूसरी पार्टी की सरकार बनने की संभावना कम दिखाई दे रही है।
चौथे ने कहा कि केंद्र और राज्य में एक पार्टी की सरकार बनने से ही हलके का विकास संभव है। हलके के गरीब वोटर चुप हैं। उनका झुकाव ही मतदान का प्रतिशत बढ़ाएगा। किसी पार्टी प्रत्याशी की जीत-हार का फैसला करेगा। गरीब तबके के लोगों पर सभी प्रत्याशियों की नजर है, जो उनका विश्वास जीतेगा उसके ही सिर पर ताज सजेगा।