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अब पढ़ाया जाएगा धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विवि में नए सत्र से किया शामिल

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में नए सत्र से धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास शामिल किया जाएगा। विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया के तहत आवेदन हो चुके हैं शुरू। दोनों ही कोर्साें में आचार्य में 35-35 तो शास्त्री में 50-50 सीटों पर दाखिला होगा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 08:50 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 08:50 AM (IST)
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विवि में नए सत्र से धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास।

कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल के गांव मूंदड़ी में स्थापित होने वाली महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया के तहत आवेदन करीब डेढ़ महीने पहले ही शुरू हो चुके हैं। जिसके तहत संस्कृत विषय के पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थी विवि में संचालित किए जा रहे शास्त्री और आचार्य के कोर्सों में पढ़ाई कर रहे हैं। इस बार सितंबर माह में विवि में तीसरे सत्र की शुरूआत की जाएगी।

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इस बार विवि प्रशासन ने धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास कोर्स शुरू करने का फैसला लिया है। इन दोनों ही कोर्साें में आचार्य में 35-35 तो शास्त्री में 50-50 सीटों पर दाखिला किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले विवि में शास्त्री और आचार्य में आठ-अाठ कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। अब यह दो नए कोर्स शुरू होने के बाद विवि में आचार्य और शास्त्री के कोर्स की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।

यह करवाए जा रहे हैं कोर्स

बता दें कि महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में इस समय आचार्य और शास्त्री के कोर्सों में साहित्य, दर्शन, हिंदू अध्ययन, व्याकरण, ज्योतिष, संस्कृत पत्रकारिता, योग और वेद विषय में पढ़ाई करवाई जा रही है। जबकि डिप्लोमा में जीवन-प्रबंधन, ज्योतिष, भाषा शिक्षण, संस्कृत पत्रकारिता, वेब-डिजाइनिंग, वैदिक-गणित, योग, कर्मकांड, संगणक यानि कंप्यूटर, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, लिपिशिक्षण, वेद, पर्यावरण, भारतीय संस्कृति के विषय पर पढ़ाई करवाई जा रही है। यह सभी विषय रोजगारपरक हैं। इन विषयों में पढ़ाई करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार पाने में अधिक जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी।

धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास की करवाई जाएगी पढ़ाई

संस्कृत विश्वविद्यालय में इस सत्र से शुरू किए जाने वाले धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास में विद्यार्थियों को अपनी भारत की संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण विषयों को लेकर जानकारी दी जाएगी। जिसके तहत धर्मशास्त्र में यह जानकारी दी जाएगी कि प्राचीन काल के समय में राजा-महाराजाओं के कार्यकाल में किस प्रकार का मानव व्यहवार होता था। उस क्या कानून एक राजा द्वारा प्रजा के लिए लागू किए गए थे। इसके साथ ही उसके मानवीय जीवन के मूल्यों, उस समय के कानून को लेकर भी विभिन्न विषयों के माध्यम से जानकारी दी जाएगी। जबकि पुराणेतिहास में विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति में शामिल पुराणों, इतिहास सहित अन्य बिंदुओं पर पढ़ाई करवाई जाएगी। जिससे उन्हें भारत के दर्शन होंगे।

संस्कृत विश्वविद्यालय में इस सत्र से धर्मशास्त्र और पुराणेतिहास का शास्त्री और आचार्य में नया कोर्स शुरू किया जा रहा है। जो इस बार शुरू होने वाले नए सत्र से शुरू करवाया जाएगा। विवि में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया काफी समय पहले शुरू की जा चुकी है। आवेदन प्रक्रिया को लेकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों में काफी उत्साह है।

राजकुमार मित्तल, कुलपति, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल।


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