विकास की बात...ग्रांट का इंतजार, 22 करोड़ से होगा पानीपत के 22 गांवों का उद्धार
पानीपत के 22 गांवों को 22 करोड़ का इंतजार है। विकास के इंतजार में ग्रामीणों की समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। पानी निकासी से लेकर सड़क तक की समस्या बरकरार है। पंचायतीराज विभाग ने एस्टीमेट तैयार कर चंडीगढ़ भेजा।
पानीपत, जेएनएन। समालखा की 22 पंचायतों में करीब 22 करोड़ रुपये की लागत से पानी निकासी सहित अन्य समस्याओं का निदान किया जाएगा। पंचायतीराज विभाग ने गांवों की समस्याओं के अनुसार एस्टीमेट तैयार कर सरकार को भेजा है। वहां से ग्रांट आने पर टेंडर के द्वारा काम होगा। ग्रामीणों की सालों पुरानी समस्या हल होगी।
खंड की 32 पंचायतों में अधिकांश में पानी निकासी की समस्या है। जोहड़ ओवरफ्लो हैं। निकासी नहीं होने से गलियों और नालों में पानी खड़ा रहता है। लोगों को आवाजाही में परेशानी होती है। बदबू से परेशान रहते हैं। बीमारियों का खतरा रहता है। निकासी स्वच्छ भारत अभियान में सबसे बड़ा रोड़ा बना है। सरकार ने पंचायतों से प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं के प्रस्ताव मांगे थे। करीब 22 पंचायतों ने प्रस्ताव और संस्तुति के साथ अपनी समस्या बीडीपीओ कार्यालय को भेजी है। अब पंचायत का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ग्राम सचिव को ही इस पर अमल करना है। ग्रामीणों को फिल्टर पानी के सिंचाई में उपयोग के लिए तैयार भी करना है।
कब्जा हटाना चुनौती
ग्रामीण अंचल में कई तालाबों के आबादी के बीच आने से उस पर स्थायी और अस्थायी कब्जा है। लोग सालों से जमीन पर काबिज हैं। राक्सेड़ा, देहरा, मनाना सहित कई गांवों में केस हारने के बाद भी लोग कब्जा नहीं हटा रह हैं। प्रशासन और पंचायत के लिए इसे हटाना चुनौती है। बगैर कब्जा हटाए सफाई संभव नहीं है।
जोहड़ की सफाई जरूरी
पंचायतीराज एसडीओ सतप्रकाश मलिक ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार पंचायतों के विकास के प्रस्तावों का एस्टीमेट तैयार कर चंडीगढ़ भेज दिया है। अधिकांश पंचायत ने पानी निकासी की समस्या बताई है। गांवों में जोहड़ की सफाई के साथ पानी को फिल्टर कर सिंचाई योग्य बनाने के लिए प्लांट लगने हैं। करीब 22 करोड़ का एस्टीमेट तैयार कर भेज दिया गया है। नए प्लान से जहां फिल्टर पानी किसानों के लिए उपयोगी होगा। वहीं इससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।