Dengue: खतरनाक होता जा रहा डेंगू, बचाव के लिए जानें आयुर्वेदिक नुस्खे
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के चिकित्सकों की मानें तो आयुर्वेदिक नुस्खों की बदौलत डेंगू से ठीक हुआ जा सकता है। साथ ही रिकवरी भी तेज हो सकती है। आयुर्वेदिक नुस्खों में पपीते मेथी नीम और नारियल पानी कितना फायदेमंद हैं। जानिए और क्या-क्या नुस्खे अपनाना चाहिए। डेंगू के लक्षण।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। डेंगू के प्रकोप से हर गली मुहल्ले में लोग प्रभावित हैं। डेंगू का कहर हरियाणा के कई जिलों में बढ़ रहा है। यमुनानगर, पानीपत, अंबाला, कैथल, जींद और करनाल में कई केस सामने आ चुके हैं। लक्षण की जब तक पहचान हो रही, लोग टेस्ट करोन पहुंच रहे तब तक जान पर बन आ रही है। एलोपैथी में डेंगू की कोई दवा निर्धारित नहीं है। लक्षण के आधार पर ही मरीज का इलाज किया जाता है। हालांकि आयुर्वेद के जरिए इसके असर को कम किया जा सकता है।
आयुर्वेद में बात करें तो किसी भी बुखार को कम करने के लिए गिलोये के काढ़े का सेवन काफी लाभकारी बताया गया है। इसके अलावा प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्तों के अर्क और काढ़े का सेवन फायदेमंद होने का दावा आयुर्वेदिक चिकित्सक लगातार करते रहे हैं। इसलिए कोई निर्धारित दवा नहीं होने की वजह से डेंगू में ज्यादातर लोग एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक इलाज लेने को ज्यादा तवज्जों देते हैं।
एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर शीतल।
काढ़े का इस तरह से करें प्रयोग
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा. शीतल महाडिक ने कहा कि डेंगू में भी बुखार को कम करने के लिए गिलोये के काढ़े को सुबह व सायं सेवन करने से काफी फायदा मिलता है। दो इंच गिलोये की बेल को डेढ़ कप पानी में उबालें और तब तक उबालते रहें जब तक आधा कप पानी न बच जाएं। इसका सेवन सुबह और सायं दोनों समय इस काढ़े का सेवन करें। यह एक एंटी आक्सीडेंट है।
तुलसी भी इम्यूनिटी बूस्टर
इसके अलावा तुलसी इम्यूनिटी बूस्टर है। तुलसी के चार से छह पत्तों को कूटकर एक कप पानी में उबालने के लिए रख दें और तब तक उबालते रहें जब तक आधा कप न हो जाएं। इसके बाद पानी को छान कर पी लें। पपीते के पत्तों का रस यानी अर्क निकालकर उसका सेवन नियमित रूप करें। कई बड़ी आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों ने पपीते के पत्तों के अर्क की टेबलेट भी मार्केट में उतार दी है। इसे भी प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए अच्छी औषधि बताया गया है।
इससे भी मिल रहा फायदा
बकरी का दूध भी इम्यूनिटी बूस्टर होता है। बकरी, नीम और कई तरह की औषधियों का सेवन करती हैं। इसलिए उसके दूध में ऐसी खूबी पाई जाती है जो सुपाच्य होने के साथ-साथ डेंगू बुखार में काफी लाभकारी माना जाता है। डेंगू से बचाव ज्यादा जरूरी है। घर में पानी को एकत्रित न होने दें साफ सफाई रखें। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स जांच कराते रहें। मुख्य बात का ख्याल रखें कि ब्लीडिंग न हो और शरीर पर चकते न आएं। अगर ये आएं तो सरकारी अस्पताल में जाकर तुरंत चिकित्सक का परामर्श लें।
ये है डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, सिरदर्द होना, मांसपेशियों, हड्डी, जोड़ों में दर्द होना, उल्टी या जी मचलाना, पाचन क्रिया सही नहीं होना, आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द, त्वचा पर चकत्ते या लाल रंग के दाने निकलना।