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बाल बंदियों पर टूटा पुलिस का कहर, बरसाई लाठियां, किसी के हाथ टूटे तो किसी के पैर

अंबाला के बाल गृह में बाल बंदियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं। जघन्य अपराधों में शामिल 16 साल से अधिक उम्र के बाल बंदियों ने टीवी न मिलने पर तोडफ़ोड़ की। 20 बालबंदियों को चोटें आईं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 06:49 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 02:15 PM (IST)
बाल बंदियों पर टूटा पुलिस का कहर, बरसाई लाठियां, किसी के हाथ टूटे तो किसी के पैर
बाल बंदियों पर टूटा पुलिस का कहर, बरसाई लाठियां, किसी के हाथ टूटे तो किसी के पैर

पानीपत/अंबाला, जेएनएन। बाल सुधार गृह में बाल बंदियों ने जमकर हंगामा किया। बाल सुधार गृह कर्मचारियों ने अधिकारियों और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने आते ही उत्पात मचाने वाले बाल बंदियों के साथ उनके साथ खड़े अन्य बाल बंदियों पर भी लाठियां बरसानी शुरू कर दी। इस घटना में 20 बाल बंदियों को चोटें आईं। राज्य महिला एवं बाल संरक्षण आयोग सदस्य मौके पर पहुंची और बाल बंदियों से पूछताछ की।

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दरअसल सोनीपत के तीन और एक बाल बंदी करनाल से हैं। यह चार बाल बंदी जघन्य अपराधों में शामिल हैं। इसीलिए इन्हें दूसरे बाल बंदियों से अलग चक्की नंबर दो में रखा गया है। इनके पास टीवी की सुविधा नहीं है। इसीलिए उन्होंने दूसरी चक्की में रखे बाल बंदियों का टेलीविजन उठा लिया। जिनका टेलीविजन उठाया गया उन्होंने अधिकारियों को सूचना दी। सूचना मिलते ही गार्द ने वहां से टेलीविजन उठाकर सही जगह पर दोबारा रखवा दिया। इससे मामले ने तूल पकड़ लिया और चारों बाल बंदियों ने उत्पात मचा दिया। इसी कारण दूसरे बाल बंदी भी भड़क गए और तोडफ़ोड़ शुरू हो गई। 

करनाल के मधुबन में हुई घटना अंबाला में दोहराई
31 मार्च की रात करनाल के मधुबन में बनाए गए प्लेस आफ सेफ्टी में बाल बंदियों ने इसी तरह तोडफ़ोड़ करते हुए सारे सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए थे। इतना ही नहीं वहां बाल बंदियों ने आग तक लगा दी थी। साथ ही साथ टेलीविजन इत्यादि भी तोड़ दिए गए थे। लेकिन इस घटना के बावजूद राज्य बाल संरक्षण आयोग, राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी का परिणाम रहा कि अंबाला में दोबारा घटना दोहराई गई। इतना ही नहीं यहां भी अधिकारियों ने इस पर पर्दा डालना चाहा।

नहीं पहुंचाया अस्पताल
घायल बाल बंदियों को अस्पताल पहुंचाने की बजाए अधिकारियों ने पैरासिटामोल की गोलियां खिलाकर मामले पर पर्दा डालना चाहा। पुलिस की पिटाई से घायल बाल बंदी रात भर दर्द से कराहते रहे। कुछ बाल बंदियों की पीठ पर छाले पड़े थे तो कुछ के पैरों पर फ्रैक्चर आया था। इसी कारण वह सूजे हुए थे।

मीडिया कर्मियों से मिली सूचना
मुझे मीडिया कर्मियों से ही सूचना मिली थी। इसके बाद मैंने आयोग की चेयरमैन के आदेशों पर बाल सुधार गृह का निरीक्षण किया। बाल बंदियों से बातचीत भी हुई। काफी बाल बंदियों के चोटें आई हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है। मैंने डीपीओ को सूचना दे दी थी लेकिन कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। इसीलिए मैंने अपनी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर आयोग को भेज दी है।
डॉ. प्रतिभा सिंह, राज्य बाल संरक्षण आयोग सदस्य।


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