मिलिए, अनोखे चुनाव प्रचार के लिए चर्चित डंडा गुरु से, साइकिल से खिला रहे कमल Panipat News
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रयागराज में अनोखे चुनाव प्रचार के लिए चर्चित हुए तारा शंकर मिश्र उर्फ डंडा गुरु करनाल पहुंच गए हैं।
पानीपत/करनाल, [सेवा सिंह]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रयागराज में अनोखे चुनाव प्रचार के लिए चर्चित हुए तारा शंकर मिश्र उर्फ डंडा गुरु करनाल पहुंच गए हैं। अब उनकी साइकिल का पहिया कमल खिलाने के लिए घूम रहा है। वे सुबह से रात तक बिना रुके और थके प्रचार कर रहे हैं। दूसरी ओर विरोध में उतरे प्रत्याशियों के एसी गाड़ियों में पसीने छूट रहे हैं।
इससे पहले वे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में अपनी अनोखी शैली के लिए चर्चित रहे हैं। वे पिछले 28 वर्षो से हिंदुत्व के मुद्दे के लिए सक्रिय हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी से प्रभावित होकर अपना जीवन भाजपा को समर्पित कर दिया था। उसी दिन से ही वे साइकिल पर सवार होकर पार्टी का कुनबा बढ़ा रहे हैं तो हर प्रत्याशी को जिताने के लिए जीजान से जुटे हैं।
प्रचार प्रसार का अनोखा तरीका
करनाल में उनके अनोखे प्रचार को देख हर कोई हैरान रह गया। शहरभर ही नहीं आसपास के क्षेत्र में भी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। प्रयागराज के गंगापार झूंसी स्थित हवासपुर गांव निवासी करीब 58 वर्षीय डंडा गुरु ने बताया कि वह पिछले 28 वर्षों से साइकिल से हिंदुत्व के लिए प्रचार कर रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें लगा कि यही पार्टी हिंदुओं के हितों की रक्षा कर सकती है। बस तभी से यह यात्रा शुरू हो गई।
साइकिल पर ही दो जोड़ी कपड़े और खाने की सामग्री
साइकिल को ही अपना प्रचार वाहन बना चुके डंडा गुरु बताते हैं कि उनकी यात्रा का खर्च कोई पार्टी नहीं उठाती। उन्हें किसी की खुशामद करना पसंद नहीं है। हिंदू बिरादरी के लोग अपनी श्रद्धा से कुछ नकदी या सामान दे देते हैं। उनके पास सामान के नाम पर साइकिल, दो जोड़ी कपड़े और खाने पीने की कुछ सामग्री होती है। साइकिल पर ही बैटरी सहित माइक, झंडे और अन्य प्रचार सामग्री है।
ऐसे नाम पड़ा डंडा गुरु नाम
तारा शंकर मिश्र ने बताया कि गांव में एक नर्सरी स्कूल में उन्हें शिक्षक की नौकरी मिली थी। तब वे एक डंडा अपने पास रखते और बच्चों को पढ़ने के लिए डंडे का भय दिखाते थे। जब भी वह किसी विद्यार्थी के घर जाते, उसके अभिभावक कहते थे कि देखो डंडा गुरु आए हैं और वह डंडा गुरु कहलाने लगे। अब भी उन्हें अधिकतर लोग इसी नाम से जानते हैं। वे वर्तमान में भी जागो हिंदू धर्मयुद्व सकंल्प संघ के संस्थापक और अध्यक्ष भी है।