यमुनानगर में ठगों का गिरोह सक्रिय, बढ़ रहे साइबर ठगी के मामले, अधिकतर केस अनट्रेस
यमुनानगर पुलिस की ओर से समय-समय पर एडवाइजरी जारी कर लोगों को साइबर क्राइम से बचाने की सलाह दी जाती है। पुलिस बताती है कि एटीएम कार्ड का पिन आनलाइन वालेट के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहे और किसी से शेयर ना करें।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। पुलिस की ओर से समय-समय पर बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की जा रही है। इसके बावजूद लोग ठगी का शिकार बन रहे हैं। किसी से क्रेडिट कार्ड बनवाने का झांसा देकर, तो किसी से ओटीपी पूछकर रकम साफ की जा रही है। यह ठग इतने शातिर हैं कि पढ़े लिखे लोगों तक को निशाना बना रहे हैं। ऐसे मामलों में पुलिस केस दर्ज करती है, लेकिन इन ठगों तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।
केस स्टडी : 1
सात अप्रैल : सेक्टर 17 निवासी डा. प्रतीक गुप्ता साइबर ठगी का शिकार हो गए थे। उनको काल करने वाले ने बैंक का प्रतिनिधि बताते हुए झांसे में लिया और क्रेडिट कार्ड बनाने का झांसा दिया। उनके मोबाइल पर साफ्टवेयर अपलोड करा फोन को हैक कर लिया। इसके बाद खाते से एक लाख 23 हजार रुपये साफ कर दिए गए थे।
केस स्टडी : 2
18 मई : त्यागी गार्डन निवासी सुरेंद्र कुमार के साथ साइबर ठगी हो गई। पुलिस को दी शिकायत में सुरेंद्र कुमार ने बताया कि उसका स्टेट बैंक आफ इंडिया, आइसीआइसीआइ व यूनियन बैंक में अकाउंट है। 12 मई को उनके तीनों बैंक खातों से अलग-अलग कर साढ़े 34 हजार रुपये साफ कर दिए गए। उसके भी फोन को हैक किया गया था। मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था।
इस तरह से बचे साइबर ठगी से :
काल, एसएमएस या अन्य माध्यम से ओटीपी, यूपीआइ आइडी, एम-पिन, एटीएम पिन किसी को शेयर न करे। किसी के भी कहने पर रिमोट एक्सेस एप जैसे क्विक सपोर्ट, एनी डेस्क, टीम व्यूवर, एयर ड्राड आदि को लिंक से डाउनलोड या शेयर न करे।किसी अनजान के संदेश पर किसी लिंक या एप को फारवर्ड भी न करें, बिना गार्ड, ब्लाक स्क्रीन वाली एटीएम का प्रयोग करने से बचे।
एटीएम कार्ड का पिन, आनलाइन वालेट के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहे। इंटरनेट साइटों या एप्लीकेशन के माध्यम से आनलाइन शापिंग करने के दौरान रिक्वेस्ट मनी आप्शन के प्रयोग करने से बचे।एनइएफटी-आरटीजीएस का बेहद जरूरत पड़ने पर ही प्रयोग करे और कोई भी लेनदेन करने के बाद बैंक की शाखा, लेनदेन कर्ता या प्रतिनिधि से मैन्युअली कंफर्म जरूर करे। इंटरनेट साइटों या एप पर चैट के माध्यम से किसी खाते का नंबर, कस्टमर आइडी, रजिस्टर मोबाइल नंबर या पासवर्ड शेयर करने से जरूर बचे।
अधिकारी के अनुसार
एसपी मोहित हांडा का कहना है कि साइबर ठगी होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करें। इंटरनेट व डिजिटल युग में कम्प्यूटर, मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग तेजी से बढ रहा है। इसके साथ ही साइबर अपराधी अलग -अलग तरीके अपनाकर लोगों के साथ धोखाधडी कर रहे हैं। बचाव के लिए किसी भी फोन काल या एसएमएस पर कोई भी निजी, बैंक खाते और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बिल्कुल न दे।