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पानीपत निगम में भ्रष्‍टाचार, प्रॉपर्टी टैक्स ऐसे कम हो रहा

अब प्रॉपर्टी टैक्स में हो रहा घोटाला सामने आया। मेयर ने किया पर्दाफाश। नगर निगम के कर्मचारियों में हड़कंप की स्थिति।

By Edited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 02:23 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 12:44 PM (IST)
पानीपत निगम में  भ्रष्‍टाचार, प्रॉपर्टी टैक्स ऐसे कम हो रहा
पानीपत निगम में भ्रष्‍टाचार, प्रॉपर्टी टैक्स ऐसे कम हो रहा

जागरण संवाददाता, पानीपत: नगर निगम में टेंडर, स्ट्रीट लाइट में भ्रष्टाचार के मामले पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। अब प्रॉपर्टी टैक्स में हो रहा घोटाला सामने आया है। निगम के अधिकारी प्रॉपर्टी टैक्स के लाखों रुपये के बिल हजारों में बदलकर निगम को चूना लगा रहे हैं। हाउस टैक्स का पुराना रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। पुराने बिलों के स्थान पर नए बिल बनाकर अपलोड किए जाते हैं। यह खुलासा मेयर अवनीत कौर ने पत्रकारवार्ता में किया। उन्होंने कहा कि 2 लाख 85 हजार रुपये का प्रॉपर्टी टैक्स बिल घटाकर 59904 रुपये का कर दिया गया।

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अधिकारियों को जब जानकारी मिली कि मामला मेयर के संज्ञान में आ चुका है तो बिल को फिर से 2 लाख 59 हजार का बना दिया गया। मेयर ने दोनों बिल पत्रकारों को दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले हजारों में हो सकते हैं। अनेक बिलों की जानकारी हमें मिली है। मामले की विजिलेंस जांच के लिए लिखा गया है साथ ही निकाय मंत्री अनिल विज और मुख्य सचिव को निगम कई-कई वर्षों से तैनात कर्मचारियों अधिकारियों को बदलने के लिए कहा जाएगा। जांच हुई को करोड़ो का घोटाला सामने आएगा उन्होंने बताया कि पूरी जांच होगी तो करोड़ों रुपये का घोटाला पकड़ में आएगा। मामले की जानकारी विधायक प्रमोद विज को भी दी गई है।

मामले की जांच विजिलेंस से करवाने के साथ-साथ आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। मामले में क्लर्क सहित डीसी रेट के कर्मचारी शामिल हैं। पार्षद अशोक कटारिया ने कहा कि निगम में भ्रष्टाचार नहीं रहने देंगे। आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई होगी। मामला ऐसे आया पकड़ में पूर्व मेयर भूपेंद्र ¨सह ने बताया कि दो एजेंटों के झगड़े में मामला पकड़ में आया। एक ने पार्टी से बिल को ठीक करवाने के लिए दो लाख रुपये और दूसरे ने डेढ़ लाख रुपये मांगे। निगम स्टॉफ से मिलकर बिल 59904 रुपये का बनवा दिया। दोनों में झगड़े होने के कारण यह जानकारी मिली। मामले में निगम के पक्के कर्मचारियों के साथ-साथ डीसी रेट पर लगे कर्मचारी भी दोषी है। वर्ष 2010 से 2020 तक का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया था। जबकि बिल 2017 से 2020 तक का बकाया दिखा दिया। इस प्रकार नया बिल बना दिया गया। पुराने का रिकार्ड की ऑनलाइन नहीं डाला गया। निगम में डीसी रेट पर लगे चौकीदार भी बिल ठीक कर रहे हैं। चल रही स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच 60 दिन बीतने के बाद भी निगम की स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच पूरी नहीं हुई है।

निकाय मंत्री ने स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित की थी। 15 दिनों में जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। कमेटी को निगम पूरा रिकार्ड की उपलब्ध नहीं करवा पाई है। ऑडिट कराया जाएगा : पुनिया प्रॉपर्टी टैक्स में गड़बड़ी की जांच के लिए ऑडिट करवाई जाएगी। एक बिल पकड़ में आया है। अन्य बिलों की जांच होगी। राहुल पुनिया, एक्सईएन, प्रभार कार्यकारी अधिकारी, नगर निगम, पानीपत


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