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सुन्दरीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च, लोगों को नहीं पसंद

सुन्दरीकरण के नाम पर कस्बे में लगे एक करोड़ के साइन बोर्ड बेंच स्वागत गेट और ब्रेकर का बुरा हाल है। साइन बोर्ड तोड़े जा रहे हैं तो ब्रेकर अपने आप टूट रहे हैं। सड़कों पर जहां-तहां लगे स्वागत गेट मुंह चिढ़ा रहे हैं तो इधर-उधर लावारिश पड़ी बेंचों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 09:39 PM (IST)
सुन्दरीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च, लोगों को नहीं पसंद
सुन्दरीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च, लोगों को नहीं पसंद

जागरण संवाददाता, समालखा : सुन्दरीकरण के नाम पर कस्बे में लगे एक करोड़ के साइन बोर्ड, बेंच, स्वागत गेट और ब्रेकर का बुरा हाल है। साइन बोर्ड तोड़े जा रहे हैं तो ब्रेकर अपने आप टूट रहे हैं। सड़कों पर जहां-तहां लगे स्वागत गेट मुंह चिढ़ा रहे हैं तो इधर-उधर लावारिश पड़ी बेंचों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। विकास के नाम पर सरकारी फंड से वारा न्यारा किया गया है।

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उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले नगरपालिका ने उपरोक्त चीजों के लए 1.05 करोड़ के 19 टेंडर लगाए थे। बगैर पूर्व योजना के वार्ड की गलियों और सड़कों पर बेतरतीब तरीके से ब्रेकर और बोर्ड लगवा दिए। बेंचें जहां-तहां रखवा दी। लोहे के स्वागत गेट बनवा दिए, जो लोगों को रास नहीं आ रहे। लोगों ने परेशानी पैदा कर रहे बगैर योजना के ब्रेकरों को उखाड़ना शुरू कर दिया। बेंच घर के अंदर ले गए तो आधा दर्जन साइन बोर्डों को तोड़ दिए गए। अधिकारियों ने ठेकेदारों को पेमेंट करने में दिलचस्पी दिखाई। बगैर देखे पेमेंट भी कर दी गई। साइट देखना भी नहीं समझा उचित

करीब दो सालों से नपा के पास एमई नहीं है। अतिरिक्त प्रभार के एमई और जेई से काम चलाया जा रहा है। वे फाइलों पर हस्ताक्षर करने ही यहां आते हैं। तकनीकी अधिकारियों ने सामानों की खरीद से लेकर इसे लगाने में साइटों का अवलोकन नहीं किया। एक गुलाटी रोड के तंग रास्ते पर 100 मीटर की दूरी में एक दर्जन ब्रेकर लगा दिए गए। कुछ जगह बंद गलियों में भी ब्रेकर देखे गए। साइन बोर्ड और 9 स्वागत गेटों का भी यही हाल रहा। सड़कों पर एक जगह तीन-तीन बोर्ड लगा दिया गए। कस्बे की धड़कन रेलवे रोड पर स्वागत गेट नहीं और छोटी सड़कों के बीच गेट बना दिए गए। जहां इनका कोई औचित्य नहीं था। रिवाइज कर बढ़ा दिए एस्टीमेट

श्याम बरेजा सहित अन्य पार्षदों की मानें तो पहले सभी 17 वार्डों से प्रस्ताव मांगे गए थे। उक्त प्रस्ताव को बगैर विचार विमर्श के रिवाइज कर दिया गया। दोबारा पार्षदों के हस्ताक्षर करवाकर उपायुक्त से मंजूरी ले ली। अधिकांश पार्षदों को बाद में इसकी जानकारी मिली। बाद में बेंचों को रेवड़ियों की तरह चहेतों को बांट दिए गए। नगरपालिका सचिव पवित्र गुलिया ने बताया कि सालों से यहां एमई का पद खाली है। जेई और एमई का अतिरिक्त प्रभार दूसरे जगह के कर्मचारियों के पास रहा है। यह टेंडर उनके आने से पहले लगा था, जिससे उन्हें पुख्ता जानकारी नहीं है।


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