टीबी मरीजों पर Coronavirus का अटैक, मरने वालों में दो ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित
पानीपत कोरोना वायरस की वजह से तीन मौत हो चुकी है। कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रमण का असर टीबी मरीजों पर हो रहा है। जो दो मौत हुईं हैं वे टीबी के मरीज थे।
पानीपत, जेएनएन। पानीपत में लगातार तीसरी मौत हुई है चिंताजनक बात ये है कि इनमें से दो टीबी के मरीज थे। कोरोना वायरस को इनके शरीर में तेजी से फैलने का मौका मिल गया। वहीं, पानीपत में अब तक कुल 36 कोरोना केस सामने आ चुके हैं।
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट््यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है। छाती रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रवीण मल्होत्रा का कहना है कि 75 फीसद मामलों में यह बैक्टीरिया फेफड़े को अपना ठिकाना बनाता है। इसके अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले, चमड़ी में भी टीबी हो सकती है। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए।
टीबी के मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य व्यक्ति की तुलना में बेहद कम हो जाती है। उसे छह से नौ महीने तक इलाज की जरूरत होती है। साथ ही प्रोटीनयुक्त डाइट पर रहना होता है। शरीर वैसे ही कमजोर होने लगता है। कोरोना वायरस की चपेट में अगर ये मरीज आते हैं तो ये वायरस गले से होते हुए शरीर में बहुत तेजी से फैलने लगता है। सांस लेने में इतना ङ्क्षखचाव आने लगता है कि आखिरकार मरीज दम तोड़ जाता है।
इस समय टीबी के मरीज ज्यादा सावधानी ये बरतें
1- दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।
2- मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
3- मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
4- मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।
5- पौष्टिक खाना खाएं, योग करें।
6- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब छोड़ दें
7- भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
पानीपत में बढ़ते जा रहे हैं टीबी के मरीज
क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2020 को संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आएनटीसीपी) का नाम बदला। अब इस कार्यक्रम का नाम नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) कर दिया है। कड़वा सच यह है कि पानीपत जिले में हर साल टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं। वर्ष 2018 में 2944 मरीज दवा का सेवन कर रहे थे। वर्ष 2019 में यह संख्या बढ़कर 3585 हो गई है। मरीजों को प्रोटीन सेवन के लिए मिलने वाला भत्ता बजट के अभाव में दम तोड़ रहा है।