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सफेद मक्खी को इस तरह नियंत्रित करें

कीटाचार्य महिला किसान सविता, यशवंती, मनीषा ने कहा कि कपास की फसल में सफेद मक्खी व अन्य शाकाहारी कीट अभी तक नुकसान पहुंचाने के आíथक स्तर से काफी दूर हैं। इसलिए किसानों को इन कीटों से भयभीत होने की जरूरत नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 12:40 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 12:40 PM (IST)
सफेद मक्खी को इस तरह नियंत्रित करें
सफेद मक्खी को इस तरह नियंत्रित करें

जागरण संवाददाता, पानीपत : कीटाचार्य महिला किसान सविता, यशवंती, मनीषा ने कहा कि कपास की फसल में सफेद मक्खी व अन्य शाकाहारी कीट अभी तक नुकसान पहुंचाने के आíथक स्तर से काफी दूर हैं। इसलिए किसानों को इन कीटों से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। फसल में मौजूद मांसाहारी कीट इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए कुदरती कीटनाशी का काम कर रहे हैं। बशर्त है कि किसान शाकाहारी कीटों को नियंत्रित करने के लिए अपनी फसल में किसी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग न करें।

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मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने बताया कि कपास की फसल में मौजूद इनो, इरो, ड्रेगनफ्लाई, क्राइसोपा के बच्चे, मकड़ी, बीटल सहित कई प्रकार के ऐसे कीट मौजूद हैं जो फसल में मौजूद सफेद मक्खी, तेला, चूरड़ा सहित अन्य शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर उन्हें नुकसान पहुंचाने के आíथक स्तर तक पहुंचने से रोकते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय उनकी फसल में सफेद मक्खी की संख्या 3.6, तेले की 0.89 व चूरड़े की 2.6 है जबकि फसल को नुकसान पहुंचाने के लिए सफेद मक्खी का ईटीएल 6 से 8, तेले की 2 और चूरड़े की 10 से अधिक होना चाहिए। इसलिए इटीएल को देखते हुए किसानों को अभी इन कीटों से घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह फसल को नुकसान पहुंचाने के स्तर से काफी दूर हैं। महिला किसानों ने बताया कि फसल के अधिक उत्पादन के लिए कीटनाशकों के प्रयोग की नहीं फसल को पोषक तत्वों की जरूरत है।


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