Haryana Assembly Election 2019: चुनावी रण के लिए योद्धा तैयार, टिकट चयन में उलझी कांग्रेस Panipat News
जहां एक तरफ भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है वहीं कांग्रेस अभी चयन को लेकर उलझी हुई है। वहीं जेजेपी बसपा और लोसुपा ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी।
पानीपत, [अरविन्द झा]। चुनावी रण में हुंकार भरने के लिए कांग्रेस के योद्धा तैयार हैं। हाईकमान नामों की घोषणा से पहले उम्मीदवारों के चयन में उलझा है। स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल अनुभवी नेता अपने-अपने गुट के उम्मीदवारों को तव्वजो दे रहे हैं। भाजपा पर बढ़त बनाने के लिए कांग्रेस अन्य पार्टियों के उन चर्चित चेहरों पर दांव खेल सकती है, जो टिकट की आस में दिन-रात दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। जजपा, बसपा व लोसुपा जैसी छोटी पार्टियां प्रथम चरण में उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार तय करने का अधिकार स्क्रीनिंग कमेटी को दे रखा है। दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल नेताओं के आवास पर टिकटार्थियों की भीड़ लगी है। वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद अशोक तंवर और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के समर्थक भी फोन बंद कर कमेटी के पदाधिकारियों का चक्कर लगाने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
इनका नाम चर्चा में
पानीपत शहरी सीट से पूर्व सीएम हुड्डा के करीबी बुल्ले शाह के अतिरिक्त संजय अग्रवाल और कमल धीमान के नाम की चर्चा है। समालखा सीट से छौक्कर बंधु टिकट की बाजी मारने को बेताब हैं। धर्म सिंह छौक्कर ने 2009 में हजकां से चुनाव जीत कर पूर्व सीएम हुड्डा को पांच वर्ष तक बिना शर्त समर्थन दिया था। उधर संजय छौक्कर की पहुंच रणदीप सिंह सुरजेवाला से लेकर पार्टी हाईकमान तक है। इसराना रिजर्व सीट पर बलबीर वाल्मीकि हुड्डा के करीबी हैं। विधानसभा चुनाव 2009 और 2014 में उन्हें इस सीट से उतारा गया था।
चाचा के सामने भतीजा दावेदार
उम्मीदवारी की लिहाज से सबसे चर्चित सीट पानीपत ग्रामीण है। इस सीट पर पूर्व मंत्री बिल्लू कादियान और ओमवीर सिंह पंवार टिकट के लिए ताल ठोके हुए हैं। दोनों तंवर गुट के हैं। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री ओपी जैन ने भी पूर्व सीएम हुड्डा से गुफ्तगू कर दावेदारी जता दी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पूर्व सीएम ने एनएसयूआइ के राष्ट्रीय सचिव शौर्यवीर कादियान को पैनल में शामिल किया है। शौयवीर पूर्व मंत्री बिल्लू कादियान के भतीजे हैं। दावेदार अपने-अपने टिकट के दावे तो कर रहे हैं, लेकिन बाजी कौन मारेगा ये कहना पार्टी के धुरंधर नेताओं के लिए भी मुश्किल हो रहा है।