खाद, बीज व दवा विक्रेताओं को करना होगा कोर्स, नहीं तो लाइसेंस रद
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए जिस तरह फार्मासिस्ट होना जरूरी है। उसी तरह अब फसलों में बीमारी से संबंधित कीटनाशक दवाओं के साथ खाद व बीज विक्रेताओं के लिए एक साल का डीएईएसआइ (डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विस फार इनपुट डीलर्स प्रोग्राम) डिप्लोमा या बीएससी एग्रीकल्चर होना अनिवार्य कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : मेडिकल स्टोर खोलने के लिए जिस तरह फार्मासिस्ट होना जरूरी है। उसी तरह अब फसलों में बीमारी से संबंधित कीटनाशक दवाओं के साथ खाद व बीज विक्रेताओं के लिए एक साल का डीएईएसआइ (डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विस फार इनपुट डीलर्स प्रोग्राम) डिप्लोमा या बीएससी एग्रीकल्चर होना अनिवार्य कर दिया गया है। अन्यथा विक्रेताओं के लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे। सभी को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से अवगत करा दिया गया है। हालांकि करीब 60 प्रतिशत लोगों ने ने डिप्लोमा कर लिया है।
गौरतलब है कि कृषि क्षेत्र में प्रयोग होने वाले खाद, बीज व कीटनाशक दवाओं की बिक्री को लेकर पहले किसी तरह के डिग्री और डिप्लोमा की जरूर नहीं होती थी। ऐसे में दसवीं या बारहवीं पास लोग लाइसेंस बनवा दुकान चलाते रहे। जो किसानों और उनकी समस्याओं का विशेषज्ञ की तरह निराकरण नहीं कर पाते हैं। किसान की मांग पर उन्हें खाद और दवाएं दे दी जाती हैं। ऐसे में गुणवत्ता पर सवाल के साथ किसान की समस्या बढ़ी तो केंद्र सरकार ने खाद व कीटनाशक दवाएं बिक्री का लाइसेंस जारी रखने के लिए विक्रेताओं के लिए एक वर्ष का डिप्लोमा अनिवार्य कर दिया। प्रशिक्षित विक्रेता किसानों से मिली जानकारी के आधार पर कीटनाशक दवा व खाद देंगे। इससे किसानों को सीधा फायदा होगा। 60 प्रतिशत कर चुके है डिप्लोमा
जिले में बीज व कीटनाशक दवा बिक्री का लाइसेंस करीब 450 व खाद बिक्री का करीब 350 लोगों ने लिया हुआ है। इनमें से 150 के करीब विक्रेता ही पुरी तरह से सक्रिय है। लेकिन काफी लोग ग्रेजुएट तक भी नहीं है। ऐसे में बगैर डिप्लोमा के उनका लाइसेंस आगे रिन्यू ही नहीं होगा, बल्कि दुकान बंद भी हो सकती है। दुकान बंद होने के डर से कुछ विक्रेताओं ने डिप्लोमा को लेकर आवेदन कर पढ़ना शुरू कर दिया है तो 60 प्रतिशत लोगों ने डिप्लोमा कर विभाग के पास जमा भी करा दिया है।
डिप्लोमा या बीएससी एग्रीकल्चर होना जरूरी --
खाद, बीज व दवा विक्रेता के लिए मान्यता प्राप्त संस्थान से डीएईएसआई का एक साल का डिप्लोमा, ग्रेजुएट (केमेस्ट्री) या एग्रीकल्चर में बीएससी होना जरूरी है। जिन्होंने पहले से लाइसेंस लिया हुआ है, उनके पास 31 दिसंबर 2020 तक का समय है। उसके बाद उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे। वहीं नए लाइसेंस उक्त अनिवार्यता पुरी करने पर ही बनेगा।
उप कृषि निदेशक, डॉ. वीरेंद्र देव आर्य (पानीपत)।