मोर्चरी में 18 दिन कोविड पॉजिटिव शव रहने का कमेटी करेगी जांच
जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट प्रिसिपल मेडिकल आफिसर (पीएमओ) कार्यालय में सौंपनी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : कोरोना पॉजिटिव का शव 18 दिनों तक किस कारण से मोर्चरी में सड़ता रहा? इसकी जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी को तीन दिन में रिपोर्ट प्रिसिपल मेडिकल आफिसर (पीएमओ) कार्यालय में सौंपनी है। उधर, एक और लावारिस शव का 10 दिन बाद मंगलवार को अंतिम संस्कार कराया है।
इस केस पर भी सवाल उठ गए हैं। पीएमओ डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि कमेटी में डा. आलोक जैन और डा. राघवेंद्र को शामिल किया है। जांच होगी कि हीरालाल कब भर्ती हुआ, कब रिपोर्ट पॉजिटिव आई, कब मौत हुई, शव को किसने लीक प्रूफ बैग में सील कराया, मोर्चरी में किसने शव को रिसीव किया, मृतक के पत्नी प्रमिला को किसने कहा कि शव का अंतिम संस्कार कर दिया है, जैसे तमाम बिदूओं पर जांच करेगी। शव को पैक करने से पहले किसने जामा तलाशी ली, मोर्चरी के मेडिकल आफिसर ने 18 दिन तक शव की सुध क्यों नहीं ली, इन बिदुओं पर भी जांच होगी।
आइसोलेशन में हीरालाल की मौत होने की सूचना पीएमओ, सिविल सर्जन और मोर्चरी के मेडिकल आफिसर को भी नहीं दी गई थी। डा. ग्रोवर ने कहा कि इस मामले में किसी कर्मचारी की चूक मिली तो उसके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाएगी। मोर्चरी के मेडिकल आफिसर ने रखा अपना पक्ष : मोर्चरी के मेडिकल आफिसर डा. नारायण डबास ने मंगलवार को पीएमओ डा. संजीव ग्रोवर और एसएमओ डा. आलोक जैन से मिलकर, अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि कोरोना पॉजिटिव होने के चलते वे होम आइसोलेट थे। यह प्रकरण उस समय का है। हीरालाल के शव पर कोई टैग नहीं लगा था। शव कहां से आया, इसकी जानकारी नहीं मिली थी। मृतक की रिपोर्ट पॉजिटिव है, यह भी नहीं बताया गया था। आइसोलेशन वार्ड के इंचार्ज और स्टाफ की ओर से भी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। मोर्चरी के स्टाफ को मृतक की जेब से मोबाइल फोन मिला, तब उसके स्वजनों की सूचना दी गई। यह है दूसरा मामला
बस अड्डा, पानीपत के पास, फ्लाईओवर के नीचे आठ मई को लावारिश शव मिला था। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए इमरजेंसी में पहुंचाया। पुलिसकर्मी ने इमरजेंसी के रजिस्टर में अपना नाम, मोबाइल फोन नंबर, थाना-चौकी का नाम नहीं लिखवाया। सिर्फ बेल्ट नंबर लिखकर चला गया। नतीजा, शव की शिनाख्त नहीं हो सकी। हीरालाल के शव का मामला उठा तो मोर्चरी के स्टाफ को दूसरा शव भी याद आ गया। इस लावारिस शव का मंगलवार को अंतिम संस्कार कराया गया।