फसल अवशेषों से बनेगी सीएनजी, एफपीओ के माध्यम से खरीदी जाएगी पराली
अब फसल अवशेषों से सीएनजी बनाई जाएगी। कैथल जिला प्रशासन ग्रो डीजल व ग्रामीण विकास ट्रस्ट के बीच हुआ एमओयू। प्रदेश का पहला इनोवेशन प्रोजेक्ट जिला में बढ़ेगी पराली व अन्य वेस्ट की डिमांड किसानों को मिलेगा सीधा लाभ।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। अब किसानों को पराली और अन्य फसल अवशेष जलाने की नहीं, बल्कि उनसे कमाने का वक्त आ गया है। इन अवशेषों से सीएनजी बनाई जाएगी और दोहरे प्रदूषण को खत्म करने में सहायक होगी। एक पराली से जलने वाले और दूसरे वाहनों के धुएं से होने वाले।कैथल इसदिशा में कदम बढ़ाने वाला संभवतया पहला जिला बन गया है। शुक्रवार को जिला प्रशासन, ग्रो-डीजल व ग्रामीण विकास ट्रस्ट के बीच एमओयू यानि समझौता प्रपत्र पर डीसी सुजान सिंह, ग्रो डीजल के सीईओ अतुल सक्सेना, ग्रामीण विकास ट्रस्ट के सीईओ शेखर व सीएमजीजीए पांखुरी गुप्ता ने हस्ताक्षर किए।
ऐसे होगा प्राेजेक्ट में काम
डीसी सुजान सिंह ने विस्तार से योजना के बारे में बताया कि इस प्रोजेक्ट के तैयार होने से जिला स्तर पर रिफाइनरी का निर्माण होगा, जिसमें एफपीओ यानि फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से किसानों की पराली खरीदी जाएगी और प्लांट तक भिजवाई जाएगी, जहां पर इस अवशेष से (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) सीएनजी बनेेगी। प्रशासन द्वारा इससे पहले भी पराली प्रबंधन के लिए अनेकों कदम उठाए गए हैं, जिससे जिला में अवशेषों में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है। डीसी ने कहा कि जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि वेस्ट को रीसाइकिल करके जीरो वेस्ट बनाना है और किसानों की आय को भी बढ़ाना है। इस प्रोजेक्ट के तहत सभी खंडों में कलस्टर वाइज यूनिट लगाई जाएगी, जहां पर वेस्ट से रागवेल बनाया जाएगा और यहां से क्रूड ऑयल तैयार करके जिला स्तरीय रिफाइनरी में लाकर सीएनजी बनाई जाएगी। जिला में एफपीओ के माध्यम से इस समूचे कार्य को किया जाएगा। नए प्रोजेक्ट के लगने से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। जिला में लगभग एक लाख 15 हजार हैक्टेयर के लगभग क्षेत्र में धान का उत्पादन होता है। इसलिए इस क्षेत्र में पराली की उपलब्धता अधिक है, जोकि इस प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण है। जिला के एफपीओ को सेमिनार के माध्यम से जागरूक किया जाएगा और वेस्ट को जिला स्तर पर पहुंचाने के लिए हर संभव मदद भी की जाएगी।
पांखुरी गुप्ता ने ली रूचि
मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी पांखुरी गुप्ता ने जिला में पराली जलाने की समस्या को दूर करने के लिए और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सकारात्मक सोच रखते हुए इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना तैयार की। उन्होंने ग्रो डीजल व ग्रामीण विकास ट्रस्ट से समन्वय स्थापित कर पूरे प्रोजेक्ट की रूपरेखा बनाई। पांखुरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से किसानों को पराली निष्पादन की कोई समस्या नहीं रहेगी, बल्कि यह उनकी आय का बहुत बड़ा जरिया बनेगा। इसके साथ-साथ दूसरे लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे और पर्यावरण भी संरक्षित होगा।
ये रहेगी सीएनजी बनाने की पूरी प्रक्रिया
सीएमजीजी पांखुरी गुप्ता ने बताया कि यह प्रदेश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जहां पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित ढंग से चलाया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हो। इसके लिए 70 एफपीओ बनाए जाएंगे। प्रत्येक ब्लॉक में ग्रामीण विकास ट्रस्ट एफपीओ के माध्यम से पराली व अन्य फसल अवशेष इकट्ठा करेंगे। इसके बाद प्रत्येक खंड में ग्रो-डीजल कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले रॉग वैल में भेजेंगे, जहां पर संबंधित सीईओ उस रॉ मटीरियल को क्रूड ऑयल में परिवर्तित करके पाइप लाइन के माध्यम से जिला स्तरीय रिफाइनरी में भेजेंगे, जहां पर सीएनजी बनेगी।