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42 करोड़ी बीमार अस्‍पताल का उद्घाटन और इस तरह व्‍यवस्‍था का एक इमारत हो जाना

मुख्यमंत्री ने सिविल अस्पताल के भवन का किया उद्घाटन, नहीं पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री। यहां न न डॉक्‍टर न अल्‍ट्रासाउंड न ऑपरेशन। उद्घाटन पत्थर पर परिवहन मंत्री और विधायक का नाम नहीं।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 06:56 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 06:58 PM (IST)
42 करोड़ी बीमार अस्‍पताल का उद्घाटन और इस तरह व्‍यवस्‍था का एक इमारत हो जाना
42 करोड़ी बीमार अस्‍पताल का उद्घाटन और इस तरह व्‍यवस्‍था का एक इमारत हो जाना

जागरण संवाददाता, पानीपत : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बृहस्‍पतिवार को सिविल अस्पताल के 42 करोड़ की लागत से बने छह मंजिला भवन का लंबे इंतजार के बाद उद्घाटन कर दिया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का उपस्थित नहीं होना चर्चा का विषय बना रहा। अस्वस्थ होने के कारण सांसद अश्विनी चोपड़ा भी नहीं पहुंच पाए। उद्घाटन पत्थर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी, पानीपत ग्रामीण विधायक महीपाल ढांडा का नाम अंकित है। परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार और समालखा के विधायक रवींद्र मच्छरौली का नाम नहीं है। इस मौके पर डीसी सुमेधा कटारिया, एसपी मनबीर सिंह, एडीसी सुजान सिंह, भाजपा महिला मोर्चा की जिला प्रधान डॉ. अर्चना गुप्ता और एमएस डॉ. आलोक जैन मौजूद रहे। 

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मुख्यमंत्री ने दो मिनट सीएमओ, 15 मिनट मंत्री व विधायक से की मंत्रणा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीएमओ डॉ. डीएन बागड़ी को मांगें रखने के लिए दो मिनट का समय दिया। उन्होंने 15 मिनट तक कमरा नंबर छह में परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, विधायक रोहिता रेवड़ी और विधायक रवींद्र मच्छरौली के साथ मंत्रणा की। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सेंटर और उसके आसपास के कमरों के पास कालीन बिछा रखी थी। वहां पर सीएम नहीं गए। इमरजेंसी वार्ड में भी स्टाफ चौकस रहा।

डॉ. डबास ने की चौकी की मांग
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के प्रधान डॉ. नारायण डबास ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बताया कि मरीज और तीमारदार अस्पताल में डॉक्टरो से झगड़ा करते हैं। पूर्व में डॉक्टरों पर हमले भी हो चुके हैं। डॉक्टर बेखौफ होकर काम कर सकें, इसलिए अस्पताल परिसर में चौकी खुलवाई जाए। सीएम लाल ने उन्हें कहा कि इसका मांगपत्र भेजें। इस पर अमल किया जाएगा।

सीएमओ ने रखी चार मांग
सीएमओ डॉ. बागड़ी व डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. नवीन सुनेजा ने सीएम से चार मांगें रखी। इसमें तीन महीने से खराब पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन को ठीक कराया जाए, ओपीडी ब्लॉक में सेंट्रल एसी की व्यवस्था कराई जाए, एमआरआइ, ब्लड बैंक, कैथ लैब खुलवाई जाए और स्टाफ व फिजिशियन का प्रबंध किया जाए। सीएम ने कहा कि दो नई अल्ट्रासाउंड मशीनें दी जाएंगी। सीएमओ एक मांगपत्र विधायक महीपाल ढांडा को भी सौंप चुके हैं।

झलकियां

  • 12:58 बजे सीएम ने सामान्य अस्पताल पहुंचे और भवन का उद्घाटन किया। नर्स रेनू व सुमन को शगुन के 500 रुपये दिए।
  • 1:02 बजे सोफे पर बैठे और सीएमओ से बातचीत की।
  • 1:03 बजे तक कमरा नंबर छह में परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, विधायक रोहिता रेवड़ी और विधायक रवींद्र मच्छरौली से मंत्रणा की।
  • 1:18 बजे सीएम अस्पताल से गाड़ी से सेक्टर 13-17 रैली स्थल की ओर निकल गए।
  • कमरा नंबर सात में सीएम के लिए सेफ हाउस बना रखा था। यहां दवा की व्यवस्था थी।
  • सीएम के आने से पहले डॉक्टरों ने गुलाब के फूल लेकर तस्वीर खिंचवाई और बाद में सेल्फी लेते रहे।
  • छुट्टी होने के कारण मरीज अस्पताल नहीं पहुंचे। कई मरीज आए तो उन्हें सिक्योरिटी ने वापस भेज दिया।

घोषणा 300 बेड अस्पताल की, इंफ्रास्ट्रक्चर 200 का, 100 की स्वीकृति
मुख्यमंत्री की घोषणा और सिविल अस्पताल अपग्रेडेशन योजना के तहत सिविल अस्पताल, पानीपत 300 बेड का होना चाहिए। अस्पताल की नई बिल्डिंग का ढांचा 200 बेड के हिसाब से तैयार हो चुका है। चौंकाने वाला पहलू यह कि मंगलवार की शाम तक 200 बेड की स्वीकृति भी सिविल सर्जन कार्यालय में नहीं पहुंची थी। गौरतलब है कि 200 बिस्तरों वाले एडिशनल ब्लॉक का निर्माण फरवरी 2015 में शुरू हुआ था। कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी बीएंडआर ने कार्य केबीजी इंजीनियर्स एजेंसी से कराया है। उधर, मुख्यमंत्री ने सिविल अस्पताल अपग्रेडेशन योजना के तहत हर जिलों में 300 बेड के अस्पताल की घोषणा की थी। तकरीबन 42 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को 200 बेड के हिसाब से तैयार किया गया है। धरातल की बात करें तो सिविल सर्जन कार्यालय से 10 अक्टूबर को महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा को पत्र भेजकर 200 बेड की लिखित स्वीकृति मांगी गई थी। अस्पताल में डॉक्टरों की मात्र 42 पोस्ट स्वीकृत हैं। डॉक्टरों की अन्य जगहों पर प्रतिनियुक्ति, ट्रेनिंग पर जाने और नौकरी से इस्तीफा देने के कारण 15 से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। स्टाफ नर्स की पोस्ट भी 100 बेड के हिसाब से नहीं हैं, 17 पद खाली पड़े हैं। फिजिशियन, छाती रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, हार्ट रोग विशेषज्ञ भी अस्पताल में नहीं है।

वेंटीलेटर की सुविधा नहीं
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मात्र 21 हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन 4 माह से ठप है, एक्स-रे मशीन माह में 10 दिन खराब रहती है। वेंटीलेटर की सुविधा अस्पताल में नहीं है। सेंट्रल ऑक्सीजन आपूर्ति सुचारू नहीं है। सीधा अर्थ, मुख्यमंत्री अस्पताल की नई बिङ्क्षल्डग का उद्घाटन तो करेंगे, लेकिन जिले के 14 लाख लोगों के लिए यह बिङ्क्षल्डग सफेद हाथी से कम नहीं है। 

अभी ये सुविधाएं भी नहीं :

  • अल्ट्रासाउंड-एमआरआइ मशीन नहीं।
  • एलाइजा टेस्ट सुविधा नहीं।
  • हीमो डायलिसिस की सुविधा नहीं।
  • प्राइवेट कक्ष की सुविधा अभी नहीं।
  • ब्लड बैंक और ट्रामा सेंटर नहीं।
  • डॉक्टरों के आवास नहीं बने।
  • अत्याधुनिक एसएनसीयू नहीं।
  • ट्रामा सेंटर, हाइटेक इमरजेंसी।
  • 25 की जगह मात्र 11 एंबुलेंस।
  • अत्याधुनिक एमसीएच विंग।
  • अस्पताल में नहीं बना पुलिस बूथ।
  • सभी ऑपरेशन थियेटर रनिंग में नहीं।
  • सभी लिफ्ट अभी रनिंग में नहीं।

एनएबीएच के मुताबिक नहीं मैन पॉवर
नेशनल मान्यता बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) के मानक अनुरूप 200 बेड के अस्पताल के लिए 5 एसएमओ, लगभग 30 मेडिकल ऑफिसर, 70-80 डॉक्टर, 100 के स्टाफ नर्स होने चाहिए। बिङ्क्षल्डग और बेड संख्या के हिसाब से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या लगभग 500 होनी चाहिए।

डीजी हेल्थ ने यह मांगा डाटा 
वर्ष 2017 में ओपीडी                2 लाख 10 हजार
इस वर्ष सितंबर तक ओपीडी     1 लाख 42 हजार
इस वर्ष भर्ती हुए रोगी               31 हजार 954
सिविल अस्पताल में डिलीवरी     811 प्रति माह

मार्गदर्शक चिन्ह नहीं, भटक रहे हैं मरीज
सिविल अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग से इमरजेंसी वार्ड, लैब, एमएस कार्यालय, सिविल सर्जन और डिप्टी सिविल सर्जन कार्यालय आदि नई बिल्डिंग में शिफ्ट किए जा चुके हैं। कार्यालय और चिकित्सीय सुविधाएं शिफ्ट तो कर दी गई, मागदर्शक चिन्ह की पट्टिकाएं नहीं लगाई गई हैं। नतीजा, मरीज बिल्डिंग में इधर-उधर भटकते रहते हैं। अस्पताल का कर्मचारी दिखने पर उससे रास्ता पूछते हैं, उधर से सही जवाब नहीं मिलता।

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