रात के अंधेरे में जमकर धुआं उगल रही शहर स्थित फैक्ट्रियां
धूप खिलने से पानीपत शहर से स्मॉग की चादर भले ही हट गई लेकिन प्रदूषण कम नहीं हुआ है। सीपीसीबी के निर्देशों की धज्जियां उड़ा कर रात के अंधेरे में चिमनियां धुआं उगल रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही शहर की स्वच्छ आबोहवा दूषित कर रही है।
कपिल पुनिया, पानीपत : धूप खिलने से पानीपत शहर से स्मॉग की चादर भले ही हट गई लेकिन प्रदूषण कम नहीं हुआ है। सीपीसीबी के निर्देशों की धज्जियां उड़ा कर रात के अंधेरे में चिमनियां धुआं उगल रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही शहर की स्वच्छ आबोहवा दूषित कर रही है। कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात हो रहा है।
दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार देर रात शहर के कुछ हिस्सों का भ्रमण किया। इस दौरान फैक्ट्रियों से काला धुआं निकलता देखा गया। टीम ने बबैल रोड और चांदनी बाग थाने के आसपास सुनसान जगह पर स्थित इन फैक्ट्रियों की तस्वीर अपने कैमरे में कैद कर ली। आठ नवंबर तक सभी फैक्ट्रियों को बंद रखने का आदेश है।
रात 10:35 बजे, बबैल रोड
बबैल रोड के किनारे स्थित फैक्ट्रियां बंद मिली। जैसे ही छोटूराम चौक से पहले चांदनी बाग कालोनी की तरफ बढ़े तो एक चिमनी से धुआं उठता दिखा। रात 10:42 बजे, चांदनी बाग कालोनी
चांदनी बाग कालोनी में ही कुछ और आगे चलने पर दो और फैक्ट्रियां चलती मिली। तीनों फैक्ट्रियों की चिमनी से निकलता काला धुआं आसमान में काला गुब्बार बना रहा था। रात 10:55 बजे, काबुली बाग कालोनी
काबुली बाग कालोनी में काबुली मस्जिद के पास भी एक फैक्ट्री चलती हुई मिली। रात को आवागमन कम होने से छोटी छोटी फैक्ट्रियों के मालिक प्रदूषण बोर्ड के नियमों की परवाह नहीं करते हैं। सैटेलाइट में क्यों नहीं कैद होती ये फैक्ट्रियां
पराली जलाने पर सैटेलाइट किसान के उस खेत की तस्वीर कैद कर लेता है। सवाल यह उठता है कि फैक्ट्रियों की चिमनी से उगलते काले धुएं को सैटेलाइट क्यों नहीं कैद कर पाता है। रात का अंधेरे से इसमें बाधा तो नहीं आ रही है। पर्यावरण बोर्ड को इस तरह का कदम उठाना चाहिए कि सैटेलाइट ही इन फैक्ट्रियों पर नजर रखे।