छोटी सेविंग से बड़ी बचत, इस चक्कर में पुलिसकर्मियों की पत्नी से लेकर आम लोग फंसे Panipat News
चिटफंड कंपनी 162 लोगों से 21 लाख की ठगी कर ली है। जब रकम वापस करने की बारी आई तो कंपनी ताला लगाकर फरार हो गई।
पानीपत, जेएनएन। छोटी सेविंग से बड़ी बचत का लालच दे चिटफंड कंपनी 162 लोगों के 21 लाख रुपये लेकर फरार हो गई। जमा अवधि पूरी होने पर लोगों के रुपये लौटाने का समय आया तो कंपनी मालिक ने स्थानीय कार्यालय पर ताला जड़ दिया। लोगों ने एसपी सुमित कुमार को शिकायत दी है। कंपनी पहले भी करीब तीन सौ पुलिसकर्मियों की पत्नियों को ठगी का शिकार बना चुकी है।
एजेंट संतोष निवासी दलबीर नगर और ललिता निवासी डाबर कॉलोनी ने बताया कि जन चेतना मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम से सुशील त्यागी ने असंध रोड पर कार्यालय बना रखा था। कश्मीरी लाल ने उन्हें कंपनी का एजेंट बनाकर लोगों को बड़ी बचत का झांसा दिया। 21 महीने तक 500 रुपये जमा कराने के बाद 11 हजार रुपये देने की बात कही गई थी। उन्होंने अपने रिश्तेदारों और आसपास की कॉलोनियों के लगभग 200 लोगों से कंपनी में निवेश कराया।
चेक हो गए बाउंस
21 महीने की अवधि पूरी होने पर कंपनी मालिक सुशील त्यागी ने 192 निवेशकों के लिए चेक बनाकर दोनों एजेंटों को थमा दिए। उन्होंने चेक लगाए तो बाउंस हो गए। लोगों ने कंपनी कार्यालय पर हंगामा किया। आरोप है कि कंपनी मालिक ने कर्मचारियों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट की। मामला सिटी थाने पहुंचा तो हर महीने के अंत में 15 लोगों की पेमेंट करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन दो महीने में 30 लोगों की पेमेंट करने के बाद दोबारा रुपये लौटाने से इन्कार कर दिया। आरोपितों ने पानीपत कार्यालय बंद कर सोनीपत में यही काम कर दिया है। लोगों ने आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और ठगे गए रुपये लौटाने की मांग की।
300 पुलिसकर्मियों की पत्नियों संग 1400 लोगों को बनाया था ठगी का शिकार
इसी कंपनी ने वर्ष 2015 में असंध रोड पर मिड डे होटल के पास भी अपना ऑफिस खोला था। कंपनी मालिक सुशील त्यागी ने 300 पुलिसकर्मियों की पत्नियों संग 1400 लोगों के साथ लाखों रुपये की ठगी कर ली थी। उस ड्रा में लोगों से 500 रुपये प्रतिमाह की 21 किस्त और 1500 रुपये प्रतिमाह की 12 किस्तें जमा कराई गई थी। ड्रा अवधि खत्म होने के बाद पेमेंट देने के वक्त कंपनी मालिक ने ऑफिस बंद कर दिया था। लोगों के हंगामे के बाद सिटी थाना पुलिस ने आरोपित कंपनी मालिक, मैनेजर और अकाउंटेंट सहित कई लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
जुर्माने और टूटी किस्तों पर टिका था बिजनेस
आरोपित कंपनी मालिक ने ड्रॉ स्कीम संबंधी कार्ड छपवा रखे थे। इनमें स्कीम की पूरी जानकारी दी गई थी। आरोपितों ने शातिराना तरीके से लोगों को ठगने का रास्ता निकाल रखा था। पहले चिटफंड कंपनी ने लोगों को आरओ और एलइडी का लुभावना लालच देकर अपने साथ जोड़ा। फिर जो लोग ड्रा के एक हफ्ते पहले किस्त जमा नहीं करा पाते, उनके ऊपर 10 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाता। वहीं किसी मेंबर के किस्त देना बंद करते ही उसकी पहले जमा हुई राशि को जब्त कर लिया जाता था।
शहर में चल रहे 300 से अधिक ड्रॉ कूपन नेटवर्क, संचालक होते है फरार
पुलिस की नाक के तले ही शहरभर में 300 से अधिक ड्रॉ कूपन नेटवर्क चले हुए है। इन कूपनों के माध्यम से चेन सिस्टम के तहत एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया जाता है। फिर नेटवर्क संचालक छोटी-छोटी धनराशि के रूप में बड़े स्तर पर लोगों से ठगी करते है। फिर बाद में रुपये लौटाने से इंकार कर देते है या फिर कार्यालय बंद करके दूसरे शहरों में शिफ्ट हो जाते है। पुलिस अधिकारी भी ड्रॉ कूपन स्कीमों को अवैध बताकर कार्रवाई से बचते नजर आते है।
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