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कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे भी आ रहे चपेट में, इस वजह से बिगड़ रही हालत

कोरोना की दूसरी लहर में बच्‍चे भी संक्रमित हो रहे हैं। जबकि पहली लहर में बच्‍चे पर असर नहीं था। यमुनानगर में 225 बच्‍चे हो चुके संक्रमित। बुखास और खांसी जुकाम की वजह से उनकी हालत भी बिगड़ रही।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 05:36 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 05:36 PM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे भी आ रहे चपेट में,  इस वजह से बिगड़ रही हालत
कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में बच्‍चे भी।

यमुनानगर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण बच्चों को भी चपेट में ले रहा है। एक साल में 225 बच्चे इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। बुखार व खांसी की वजह से बच्चों की हालत बिगड़ी। इनमें से कुछ बच्चों को अस्पताल में भी दाखिल कराना पड़ा। रामपुर खादर निवासी नौ वर्षीय बच्ची की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत भी हुई। उसका पीजीआइ में इलाज चल रहा था।

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कोरोना की दूसरी लहर बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। जिले की बात करें, तो अब तक दो साल से आठ वर्ष तक के 225 बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि अधिकतर बच्चों को होम आइसोलेशन में रखा गया। वह ठीक भी हो गए। चिकित्सकों के मुताबिक, कुछ बच्चों में संक्रमण ज्यादा अधिक देखने को मिला है। बच्चों में सर्दी, जुकाम, खांसी व बुखार आदि लक्षण दिखाई दे रहे हैं। लक्षण के आधार पर दवाई दी जा रही है। जिससे वह ठीक हो रहे हैं। 

बच्चों की इम्यूनिटी पावर ठीक होती है। इसलिए वह जल्दी रिकवर हो जाते हैं। एक वजह यह भी है कि गत वर्ष बच्चे घर से नहीं निकलते थे, लेकिन इस बार घर से बाहर निकले। बीच में स्कूल भी खोले गए थे। जिस वजह से बच्चों में संक्रमण फैला था। इसके साथ ही बच्चों को हाथ सैनिटाइज करने या किसी से मिलने के बारे में नियमों का अधिक पता नहीं होता। बच्चों में कोमार्बिट जैसे डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी समस्या नहीं होती है। इसीलिए बच्चों की रिकवरी क्षमता ज्यादा होती है।

यह रखें ध्यान

-बच्चों को पानी पिलाते रहें।

-खाना ताजा और गर्म दे।

-ताजे फल और मौसमी खिलाएं।

-चिकित्सक की बताई दवा देते रहें।

-जूस की जगह फल दें।

यह हो सकती है समस्या

-नींद ठीक से नहीं आना।

-कान में दर्द, खराब या धुंधला दिखना।

-कुछ मामलों में थकान पांच माह तक रह सकती है।

-जोड़ों, जांघों,सिर और पैरों में दर्ज हो सकता है।

-अचानक से मूड बदलना या स्पर्श या गंध की कमी।

संक्रमित होने पर यह करें

-गंदे कपड़े पहनकर बच्चे के पास न जाए।

-यदि बच्चा मास्क नहीं पहनता है तो खुद पहनने।

-सफाई का ध्यान रखे।

-घर पर किसी अन्य व्यक्तियों को न बुलाएं।


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