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हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कलंक बाल विवाह प्रथा

हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में बाल विवाह की कुप्रथा कलंकित कर रही है।

By Edited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 02:25 AM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 11:08 AM (IST)
हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कलंक बाल विवाह प्रथा
हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कलंक बाल विवाह प्रथा
राज ¨सह, पानीपत : हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में बाल विवाह की कुप्रथा 21वीं सदी में कलंक बनी हुई है। म्हारी छोरियां छोरों से कम है के..का दम भरने वाले प्रदेश का कोई जिला अछूता नहीं है, जहां बाल विवाह न हो रहे हों। आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2017 से फरवरी 2018 तक कुल 409 बाल विवाह रुकवाए गए। बताया जा रहा है कि हो चुके बाल विवाह की संख्या इससे कहीं ज्यादा भयावह है। सोनीपत, फतेहाबाद, मेवात आदि जिलों में बाल विवाह के अधिक मामले सामने आते रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा से मिले 17 जिलों के आंकड़ों को सही मानें तो जनवरी 2017 से फरवरी 2018 तक कुल 536 शिकायतें प्राप्त हुईं। संबंधित जिलों के बाल विवाह निषेध अधिकारियों द्वारा पुलिस की मदद से 409 बाल विवाह रुकवाए गए। इनमें 35 मामले ऐसे भी हैं, जिनमें आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई। बाकी जिलों के बाल विवाह रुकवाने के मामलों को जोड़ दिया जाए तो संख्या 600 तक पहुंच सकती है। सबसे अधिक सोनीपत में 57 बाल विवाह रुकवाए गए। दूसरे नंबर फतेहाबाद में 56, तीसरे नंबर पर मेवात में 44 बाल विवाह रुकवाए गए। सबसे अधिक मुकदमे अंबाला में दर्ज कराए गए। पानीपत में चौदह माह के अंतराल में 38 बाल विवाह रुकवाए गए और 5 मुकदमे दर्ज कराए। प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014-2015 के दौरान प्रदेश में बाल विवाह के 246 केस रुकवाए गए । कुषाण कालीन बाल विवाह कुप्रथा इक्कीसवीं सदी में कम न होना स्वस्थ समाज के लिए ¨चता बनी हुई है। अब मुस्लिम समुदाय में भी बाल विवाह की घटनाएं सामने आने लगी हैं। बताते चलें कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत लड़की का विवाह 18 वर्ष से कम तथा लड़के का विवाह 21 वर्ष से कम आयु में करना गैरकानूनी है। बाल विवाह के आरोपितों को 2 साल की सजा व 1 लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है। माता-पिता, रिश्तेदार, पंडित, काजी व मंडप-धर्मशाला के मालिक-मैनेजर को भी शामिल किया गया है। गरीबी व छेड़छाड़ बड़ा कारण : बाल विवाह मामलों में गरीबी-अशिक्षा सहित बेटियों का असुरक्षित महसूस करना बड़ा कारण है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे माता-पिता को बेटियों के हाथ पीले करने की जल्दी रहती है। शरारती तत्वों द्वारा बेटियों के साथ छेड़छाड़, बलात्कार, विवाह की नियम से अपहरण जैसी घटनाएं भी माता-पिता को डराती हैं। असंख्य लड़कियों को स्कूल भी ऐसी घटनाओं के कारण छोड़ना पड़ता है। आन्टा-सान्टा कुप्रथा भी ¨चता : हरियाणा में कई जातियों में अभी तक प्राचीन आन्टा-सान्टा प्रथा चली आ रही है। इसमें किसी वर को वधू चाहिए तो बदले में पत्नी पक्ष के किसी लड़के से अपनी बहन का विवाह करना होता है। ऐसे विवाह भी कच्ची उम्र में कर दिए जाते हैं। विवाह के लिए नाबालिग लड़कियों को अगवा करना समाज के लिए बड़ी ¨चता है। बाल विवाह के दुष्प्रभाव : 1. घरेलू व ¨लग आधारित ¨हसा। 2. लड़कियों की खरीद फरोख्त में वृद्धि । 3. पढ़ाई छोड़ने की घटनाओं में वृद्धि। 4. बाल मजदूरी, कामकाजी बच्चों का शोषण। 5. समय से पहले गृहस्थ की जिम्मेदारी। वर्जन : बाल विवाह की शिकार लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अधिक होती हैं। 18 वर्ष की उम्र से पहले लड़की मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह विकसित नहीं होती। विवाह उपरांत गर्भपात, मृत प्रसव, शिशु मृत्यु दर का डर बना रहता है। डॉ. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन-पानीपत वर्जन : सरकार और समाज को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक रहने की जरूरत है। हालांकि, अब बेटियां खुद आगे आकर विरोध करने लगी हैं।सूचनाएं भी मिल रही हैं। हमें ऐसी परिस्थिति पैदा करनी होंगी, कि बाल विवाह पर विराम लगे। रजनी गुप्ता, महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी

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