हां-ना में उलझा गए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने बोली नेताओं की भाषा। किसी भी सवाल को नहीं दिया सीधा जवाब। हर सवाल को टाल गए।
दीपक बहल, अंबाला
रेलवे में विद्युतीकरण के जिस स्टील घोटाले ने यात्रियों की जान जोखिम में डाल रखी है और जिसकी जांच केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) की विजिलेंस से लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो कर रहा है। रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेज लिमिटेड (राइट्स) अंबाला से लेकर इलाहाबाद तक विद्युतीकरण के अधिकारी और निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाली निजी कंपनियों के संचालक संदेह के घेरे में हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से रेल मंत्रालय तक पत्राचार हो चुका है। उस बहुचर्चित मामले से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी अनभिज्ञ हैं।
कालका-शिमला रेलवे लाइन का निरीक्षण कर रविवार को अंबाला पहुंचे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दैनिक जागरण के सवालों पर सिर्फ इतना कहा कि चेक करके बता सकते हैं। दूसरे सवालों को भी उन्होंने हां-ना में उलझा दिया। किसी पर स्थिति स्पष्ट नहीं की। सवाल : रेलवे विद्युतीकरण के कई कार्यो में मानक से कम स्टील के स्ट्रक्चर लगा दिए गए हैं। दैनिक जागरण ने खबर दी थी। मैंने स्वयं आपको वाट्सएप किया था। केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) इलाहाबाद की विजिलेंस जांच भी कर रही है, इस मामले में अपडेट क्या है।
लोहानी : ज्यादा मुझे पता नहीं है, चेक करना पड़ेगा। सवाल : व्यक्तिगत दौरे के लिए अंबाला से लखनऊ सैलून गया था, मेरी आपसे बातचीत हुई थी और मामला आपके संज्ञान में भी डाला गया था। दरअसल, लखनऊ में रस्म पगड़ी में शरीक होने के लिए अंबाला से सरकारी दौरा बनाकर वीआइपी कंपार्टमेंट (जिसे रेलवे की भाषा में सैलून कहा जाता है) का दुरुपयोग की विजिलेंस ¨वग ने जांच कर फाइल कर दिया।
लोहानी : चेक कराना पड़ेगा, वैसे हमने सैलून के मामले में दिशा निर्देश जारी किए हैं। सवाल : अंबाला रेल मंडल में सीनियर डीपीओ जैसे अधिकारी का छह माह में तबादला कर दिया गया, जबकि कई अधिकारियों का कार्यकाल चार साल से अधिक हो चुका है। विजिलेंस की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, उत्तर रेलवे कुछ नहीं कर रहा।
लोहानी : तबादले रेलवे बोर्ड से नहीं होते, जीएम साहब ही बता सकते हैं। चार साल बाद भी अफसरों के तबादले क्यों नहीं किए जा रहे, इसका देशभर में चेक करवा लेते हैं। सवाल : नई दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच तेजस एक्सप्रेस चलाकर शताब्दी बंद की जा रही है क्या? उत्तर रेलवे के बड़ोदा हाउस ने तेजस की टाइ¨मग को लेकर प्रस्ताव भेजा था जिस पर बोर्ड सहमत नहीं हुआ, बोर्ड एक शताब्दी बंद कर तेजस एक्सप्रेस को चलाने पर फोकस कर रहा है, क्योंकि यात्रियों की संख्या इस रूट पर कम है, क्या होगा?
लोहानी : मुख्य मुद्दा यात्रियों का है, हम लोग ट्रेनों की संख्या अधिक नहीं बढ़ा सकते, नई ट्रेनें चलती हैं तो अन्य ट्रेनें रद करनी पड़ती हैं। सवाल : ट्रेनों की लेटलतीफी में कब तक सुधार होगा, जिस ट्रेन में आपका सैलून लगा, वह भी करीब डेढ़ घंटे की देरी से पहुंची।
लोहानी : हमारी प्राथमिकता संरक्षा पर है, मरम्मत का काम चल रहा है। ट्रेनों की लेटलतीफी में भी सुधार हुआ है, 60 से सुधार होते 75 फीसद तक सुधार हो चुका है और आगे भी होगा।