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Panipat Chaat Puja 2020: छठ पर्व पर नहरों में भव्‍य नजारा, तस्‍वीरों में देखिए आस्‍था का सैलाब

Chaat Puja 2020 पानीपत में छठ पर्व पर नहरों में भव्‍य नजारा देखने को मिला। व्रतियों के साथ उनके परिवार के लोग पहुंचे। गोहाना रोड असंध रोड पर नहरों में भारी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचे। छठ मैया के लोकगीत गूंजते रहे। इसके अलावा आसपास के जिलों में भी भीड़ रही।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 07:48 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:44 AM (IST)
Panipat Chaat Puja 2020: छठ पर्व पर नहरों में भव्‍य नजारा, तस्‍वीरों में देखिए आस्‍था का सैलाब
छठ पर्व पर असंध रोड रजवाहे में पहुंचे श्रद्धालु।

पानीपत, [राजेंद्र फोर]। Chaat Puja 2020 भगवान सूर्य की उपासना के महापर्व छठ पर पानीपत के गोहाना रोड, असंध रोड पर नहरों में आस्‍था का सैलाब देखने को मिला। अर्घ्‍य देने के लिए व्रतियों के साथ परिवार वालों की भीड़ अल सुबह नहरों के पास पहुंच गई। उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य देकर व्रतियों ने अपने घर-समाज के लिए खुशहाली की प्रार्थना की। 

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घाट में छठ पर्व की आस्‍था देखने को मिली। वहीं बहुत से लोगों ने घरों में ही भगवान सूर्य को अर्घ्‍य दिया। प्रशासन ने गोहाना रोड, एनएफएल के सामने, असंध रोड पर, बाबरपुर में नहर पर व्यवस्था की। एनएफएल के सामने बनाए गए घाट का उद्घाटन भी हुआ। घाटों पर साफ सफाई से लेकर रोशनी की व्यवस्था की गई थी। सुबह सड़कों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली।

Chaat Puja in Panipat

सुबह चार बजे से ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य देने के लिए श्रद्धालु परिवार के साथ गोहना रोड, असंध रोड के साथ बने घाट की तरफ पहुंचने लगे। इस दौरान लोगों में कोरोना के प्रति जागरूकता दिखाई नहीं दी। ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगाए हुए थे। शारीरिक दूरी का पालन भी नहीं किया गया।

Chaat Puja in Panipat

चार बजे से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे

सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु घाटों पर पहुंचने लगे थे। अपने-अपने सिर पर पूजा सामग्री की टोकरी लिए महिलाएं बच्चे पहुंचे घाट पर जाकर पूजा का स्थान पर सामान रखा। महिलाएं नहर में पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान की अराधना करने लगी। नहर के बाहर उनके परिजन पूजा करने लगे।

Chaat Puja in Panipat

संतान की प्राप्ति व उनकी सलामती का पर्व

गोहाना रोड नहर के घाट पर छठ पूजा करने पहुंची किशन पुरा की पिंकी व प्रीती  ने बताया कि वह पहली बार पूजा करने पहुंची। संतान प्राप्ति व उसकी सलामती के लिए यह पूजा की जाती है।

Chaat Puja in Panipat

इसमें महिलाएं 36 घंटे तक व्रत रखती है। जिसमें पानी तक ग्रहण नहीं करती। पंडित कांशीनाथ झा ने बताया कि समालखा में भी श्रद्धालुओं ने इस व्रत को मनाया। यह व्रत सर्वमनोकामना के लिए किया जाता है।

Chaat Puja in Panipat

Chaat Puja in Kurukshetra

कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में एक दूसरे को तिलक लगातीं व्रती।

करनाल में भी सूर्य आराधना के महापर्व छठ पर करनाल में श्रद्धालुओं ने पूरे आस्था भाव के साथ पूजा अर्चना की। पश्चिमी यमुना नहर स्थित नए घाट पर एकत्र हुए श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य देकर नमन किया और पूर्ण विधि-विधान के साथ त्योहार की परंपरा निभाई। इस अवसर पर कोविड-19 की हिदायतों के अनुपालन पर ध्यान देने की प्रशासनिक अपील भी की गई।छठ पूजन के लिए गठित आयोजन समिति के प्रधान सुरेश यादव ने बताया कि 4 दिवसीय छठ पूजा महोत्सव में पूर्वांचल वासियों ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ उपासना की। व्रतधारियों ने भी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करके सर्व कल्याण की कामना की। इस अवसर पर पुलिस प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए।

Chaat Puja in Ambala

करनाल में श्रद्धालुओं ने पूरे आस्था भाव के साथ पूजा अर्चना की।

Chaat Puja in Kaithal

कैथल में पूजा अर्चना करते श्रद्धालु।

Chaat Puja in Karnal

करनाल में पूजन करते श्रद्धालु।

Chaat Puja in Karnal

Chaat Puja in Yamunanagar

Chaat Puja in Yamunanagar

Chaat Puja in Yamunanagar

कुरुक्षेत्र में नौ डिग्री में श्रद्धालुओं ने ठंडे जल में खड़े होकर सूर्य को दिया अर्घ्य

धर्मनगरी में आस्था का महापर्व छठ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ। व्रतियों ने सुबह नौ डिग्री सेल्सियस तापमान में आधे घंटे से ज्यादा समय तीर्थ के ठंडे जल में खड़े होकर भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार किया। जैसे ही सूर्य देवता दिखाई दिए व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण हुआ। इससे पहले रात भर ब्रह्मसरोवर के घाट छठी मइया और भगवान सूर्य के गीतों से गुंजायमान रहे। सुबह विधि विधान से पूजन करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर श्रद्धालु अपने घरों को लौट गए। कोरोना वायरस के चलते इस बार भले ही 100 श्रद्धालुओं के प्रवेश की स्वीकृति मिली थी लेकिन बड़ी तादाद में श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर पर पहुंचे और उन्होंने आस्था के इस महापर्व को विधि विधान से मनाया।

महिलाओं ने सूर्य देव से परिवार में सुख-समृद्धि और बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना की। घाटों पर आस्था की अविरल धारा बह निकली। प्रात: साढ़े सात बजे तक पूजा संपन्न होने के बाद नदी के घाटों से लोगों का लौटना शुरू हो गया। इससे पहले शुक्रवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य देने के लिए व्रती और उनके परिवार जुटे थे। अर्घ्य देने के साथ ही परिवार की समृद्धि के साथ लोक मंगल की कामना की गई।

छठ मइया के गीतों से गूंजे घाट

शुक्रवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रात को कई श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर के घाटों पर ही रुके। इस दौरान महिलाएं टोलियों में छठ के गीत गाती रहीं। इस दौरान महिलाओं ने छठी माई के घाटवा पे आजन बाजन जैसे गीत गाए गए। वहीं कई श्रद्धालु गीतों पर झूम भी उठे।

ना मास्क दिखे और न ही शारीरिक दूरी

वैसे तो कोरोना वायरस को लेकर जिला प्रशासन ने 100 ही लोगों को ब्रह्मसरोवर में प्रवेश करने की स्वीकृति देने की बात कही थी। जबकि छठ पूजा के दौरान किसी ने भी न तो शारीरिक दूरी का ख्याल रखा और न ही मुंह पर मास्क की पालना ही कराई गई। जन सैलाब में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रति पूरी तरह से लापरवाही दिखी।

इधर, कैथल में व्रती महिलाओं ने बाबा शीतलपुरी डेरे के घाट पर की भगवान सूर्य की पूजा अर्चना

शनिवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आस्था और संस्कार के महापर्व छठ संपन्न हो गया। छठ पर्व मनाने वाले परिवार की व्रती महिलाओं ने बाबा शीतलपुरी डेरे के घाट पर पूजा अर्चना की। बाबा शीतलपुरी के घाट पर नए वस्त्र धारण कर पूजन करने के लिए छठ पर्व मनाने वाले लोग पहुंचे थे। छठ का व्रत काफी मुश्किल होता है इसलिए इसे महाव्रत भी कहा जाता है। इस दौरान छठी देवी की पूजा की जाती है। छठ देवी सूर्य की बहन हैं लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं। बाबा शीतलपुरी डेरे के घाट पर महिलाएं भगवान सूर्य की उपासना के लिए सुबह चार बजे से घाट पर पहुंच गई थी। इसके बाद ही महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। छठ पर्व मनाने वाले श्रद्धालुओं में काफी उत्साह रहा। अर्घ्य देने के बाद छठी मइया के लिए बनाए गए खास व्यंजन का प्रसाद लोगों में बांटा गया।  यह व्रत नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। पर्व को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल रहा।

दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है छठ पर्व

जन विकास सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. बीएन शास्त्री ने बताया कि हर वर्ष दिवाली के छठे दिन यानि कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को दिवाली के छठे दिन मनाया जाता है, जबकि अगले दिन सूर्योंदय के समय अर्घ्य देने के बाद यह संपन्न होता है। इसकी शुरूआत चतुर्थी को नहाय-खाय से होती है। अगले दिन खरना, जिसमें गन्ना के रस से बनी खीर प्रसाद के रूप में दी जाती है। षष्ठी को डूबते सूर्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल चढ़ाकर इस पर्व की समाप्ति होती है। छठी मइया को अर्घ्य देकर संतान प्राप्ति और उनके अच्छे भविष्य की कामना की जाती है।


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