पशुपालक नहीं करवा रहे पशुओं का बीमा, योजना तोड़ रही दम
कैथल में 2 लाख 60 हजार पशुपालक हैं। इसके बावजूद पशुओं के बीमा को लेकर पशुपालक जागरूक नहीं हैं। बीमा न कराने की वजह से यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। सरकार ने पशुपालकों को जोखिम मुक्त करने के लिए यह योजना शुरू की है।
पानीपत/कैथल, जेएनएन। पशु पालन बीमा याेजना जानकारी के अभाव में दम तोड़ रही है। पशुपालकों का इसकी तरफ कोई रुझान नहीं दिखाई दे रहा है। क्योंकि पशुपालक योजना का लाभ लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसे देखकर प्रचार का अभाव कहें या पशुपालकों की निरस्तता। बता दें कि प्रदेश सरकार ने 2016 में पशुपालकों को पशुधन की आकस्मिक मृत्यु से होने वाले नुकसान बचाने के लिए पशु बीमा योजना को शुरू किया था, कि पशुपालक मात्र 100 रुपये का प्रीमियम भरकर अपने पशुओं का बीमा करवा जोखिम मुक्त हो सकता है,
गाय व भैंस ढाई लाख, बीमा मात्र एक हजार पशुओं का
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 2 लाख 60 हजार पशु है। इनमें से कम से कम एक लाख पशुओं का बीमा होना चाहिए, लेकिन जिले में मात्र एक हजार पशुओं का ही बीमा हुआ है। सरकार की तरफ से शुरू की गई 100 रुपये की योजना से भी लोग बच रहे है। इसका भी फायदा नहीं उठा रहे है। विभाग की तरफ से इस साल दो लाख के करीब बीमा करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। धरातल पर योजना को पहुंचाने के लिए विभाग को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। तभी यह योजना सफल हो सकती है।
पशुधन बीमा योजना की मुख्य विशेषताएं
पशुओं के बीमे पर मात्र 100 रुपये के प्रीमियम निर्धारित किया गया है। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए ये योजना पूरी तरह से फ्री है। पशु की अचानक आकस्मिक मौत होने पर भैंस का 60 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है। गाय का 40 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। पशु को करंट, नहर में डूबने, बाढ़ व आग लगने आदि किसी भी कारण से दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसे पशुधन का पूरा बीमा दिया जाता है।
कैंप लगाकर पशुपालकों को किया जा रहा है जागरूक
पशुपालन विभाग के नोडल अधिकारी सुरेंद्र ने बताया कि सरकार ने पशुपालकों को जोखिम मुक्त करने के लिए यह योजना शुरू की है जिसके तहत बीमा किया जाता है। इस योजना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पशुपालन विभाग लगातार कैंप का आयोजन कर रहा है।