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गोधन संवर्धन को चला युवाओं का कारवां

विजय गाहल्याण, पानीपत बेसहारा गोवंश की सुध न तो सरकार ने ली और न ही प्रशासन ने तो मांड

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 04:52 PM (IST)
गोधन संवर्धन को चला युवाओं का कारवां

विजय गाहल्याण, पानीपत

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बेसहारा गोवंश की सुध न तो सरकार ने ली और न ही प्रशासन ने तो मांडी गांव के युवाओं की टोली ने संवर्धन का बीड़ा उठा लिया। 75 युवाओं ने मिलकर एक कमेटी गठित की और चंदे से चार लाख रुपये एकत्रित कर एक गोशाला का निर्माण किया। चारे से लेकर गोवंश की देखभाल की जिम्मेदारी भी युवा ही संभाले हुए हैं। युवाओं की इस गोशाला में अब 150 गोवंश हैं। युवाओं का जज्बा देख पंचायत ने नौ एकड़ गोचरान जमीन गोशाला के लिए दे दी है। पूठर, बांध, चमराड़ा और आसपास के गांवों के लोगों ने 200 ट्राली तूड़ा व 400 मन अनाज गोवंश के लिए दान दिया है।

2000 गोवंश की होगी क्षमता

बाल गोपाल गोशाला कमेटी के प्रधान व पूर्व सरपंच रणधीर शर्मा ने बताया कि गोशाला में नौ शेड बनाए जाएंगे। गोवंश के इलाज को डॉक्टर भी रखा जाएगा। यहां देसी गायों की नस्ल सुधार के भी प्रबंध किए जाएंगे।

आसान नहीं थी राह, हिम्मत नहीं हारी

मास्टर राजेश ने बताया कि एक साल पहले गांव में बेसहारा गोवंश को घूमते देखा तो मन दुखी हो गया। फिर फौजी विनोद, पुलिसकर्मी सत्यवान, अंकित, बिजेंद्र, मोनू, कृष्ण, ऋषिपाल, दीपू सीटू और योगेंद्र सहित 75 युवाओं की कमेटी गठित कर गोशाला बनाने की ठानी। राह आसान नहीं थी, क्योंकि इसके लिए धन के साथ-साथ जमीन की जरूरत थी। गांव में कई बार पंचायत कर सहयोग की मांग की। अपने व आसपास के गांवों से चंदा इकट्ठा किया। उन्हें हरियाणा गोरक्षा दल के प्रदेश उपाध्यक्ष आजाद आर्य ने प्रोत्साहित किया। गोचरान भूमि पर बांस की बल्लियों से बाड़ बनाई। शेड नहीं होने के कारण छायादार पेड़ों के नीचे गोवंश रखने व पानी की व्यवस्था की गई। जनवरी में जहां 25 गोवंश था। अब 150 है। प्रधान रघबीर शर्मा ने पांच लाख और सरपंच के ससुर धर्मबीर ने एक लाख रुपये चंदा दिया है।

जिले में 10 हजार गोवंश अब भी बेसहारा

हरियाणा गोरक्षा दल के प्रदेश उपाध्यक्ष आजाद आर्य ने बताया कि जिले में 18 गोशाला हैं। इनमें नारा, पट्टीकल्याणा, समालखा, शाहपुर, नौल्था, जलमाणा, सनौली, सिवाह, पानीपत में चार, समालखा में दो, डिकाडला और नैन गांव की गोशाला शामिल हैं। इनमें करीब 20 हजार गोवंश रखने की क्षमता है। अभी भी दस हजार गोवंश बेसहारा है। इसके लिए पांच से छह और गोशालाओं की जरूरत है।

गोवंश को नहीं रहेगी चारे की दिक्कत

मांडी गांव की सरपंच ज्योति का कहना है कि बेसहारा गायों को चारे की दिक्कत रहती थी। अब गोशाला में न सिर्फ गायों की सही देखरेख होगी बल्कि चार एकड़ में उनके लिए चारे का भी प्रबंध किया जाएगा।


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