और आग में दौड़ती चली गई बाइक, होदी में कूदकर जान बचानी पड़ी
गेहूं के अवशेषों में लगी आग से मौसेरे भाई समेत तीन युवक झुलसे। समालखा में रजवाहे के किनारे की घटना। धुएं की वजह से सड़क नहीं दिखाई दी और बाइक खेत की तरफ चली गई।
पानीपत, जेएनएन। गेहूं की फसल की कटाई के बाद खेतों में एक बार फिर से आग लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। यह आगजनी न केवल धरती को बांझ कर रही है, बल्कि लोगों की जान तक ले रही है। रजवाहे किनारे खेतों में गेहूं के अवशेषों में लगी आग की चपेट में आने से मौसेरे भाइयों सहित तीन युवक झुलस गए। तीनों युवक बाइक पर किवाना से घर लौट रहे थे। घटना में बाइक भी जल गई। परिजनों ने तीनों को सीएचसी में भर्ती कराया, जहां से उन्हें पानीपत रेफर कर दिया।
कुहाड पाना वासी रवींद्र ने बताया कि उसका भाई 21 वर्षीय अतुल, मौसेरा भाई 22 वर्षीय अमित वासी भरत नगर और दिल्ली वासी मामा का पोता 18 वर्षीय अंकुश रविवार सुबह बाइक पर किसी काम से किवाना गए थे। दोपहर करीब सवा बारह बजे लौटते समय वह सड़क से आने के बजाय रजवाहे की पटरी से चल पड़े। रास्ते में खेतों में गेहूं के अवशेषों व रजवाहे की पटरी पर घास फूंस में लगी आग से उठते धुएं के कारण उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया।
पटरी की तरफ चली गई बाइक
उनकी बाइक पटरी की तरफ चली गई और आग ने उनको चपेट में ले लिया। कपड़ों में आग लगने पर तीनों ने बाइक को छोड़ पास ही एक नलकूप की होदी में भरे पानी में कूदकर जान बचाई। तब तक वे काफी हद तक झुलस चुके थे। इसके बाद किसी तरह सूचना परिजनों को दी। परिजन तुरंत मौके पर पहुंचे और तीनों को स्थानीय सीएचसी में भर्ती कराया। रङ्क्षवद्र ने बताया कि तीनों युवक 60 से 70 फीसद तक झुलसे हुए है और पानीपत के निजी अस्पताल में आइसीयू में भर्ती है।
कार्रवाई की जाएगी : एसडीएम
एसडीएम कुशल कटारिया का कहना है कि मामला गंभीर है। फसल अवशेषों के जलाने पर पूर्णत पाबंदी है। जिस किसान ने अवशेषों में आग लगाई है, उसका पता लगाकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को कृषि व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को बुलाया भी गया है, ताकि अवशेषों को जलाने से रोका जा सके।
मां और बेटे की हो गई थी मौत
बता दें कि तीन वर्ष पहले इसराना के पास खेत में फाने जलाए जा रहे थे। तब धुएं की वजह से सड़क नहीं दिखी और बाइक खेत की ओर चली गई। बाइक पर सवार मां और बेटा धुएं में वहीं बेहोश हो गई। आग की चपेट में आने से जिंदा जल गए थे। इसके बावजूद खेतों में आग लगानी बंद नहीं हुई।
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