करनाल पहुंचे पूर्व सीएम हुड्डा बोले- अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार छीनने की कोशिश कर रही सरकार
हुड्डा ने कहा कि इस कानून के जरिये सरकार संविधान द्वारा नागरिकों को दी गई शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है। इस कानून का मकसद सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है।
कुरुक्षेत्र/ करनाल, जेएनएन। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में सरकार द्वारा पारित संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021 वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसका गलत इस्तेमाल करके सरकार जनता के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है। कानून बनने के बाद नागरिकों के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कुरुक्षेत्र और करनाल में पत्रकारवार्ता में सरकार से कानून वापस लेने की मांग की है।
हुड्डा ने कहा कि इस कानून के जरिये सरकार संविधान द्वारा नागरिकों को दी गई शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही है। इस कानून का मकसद सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर नागरिक को दोषी साबित करना है। क्योंकि, विधेयक में अपनी जायज मांगों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से भी वसूली का प्रावधान है। ये कानून बनने के बाद नागरिकों के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल हो जाएगा।
बजट की घोषणाओं से हर वर्ग निराश
हुड्डा ने कहा कि बजट सत्र की घोषणाओं से हर वर्ग निराश है। हुड्डा शुक्रवार को करनाल में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि बजट सत्र में प्रदेश के हर वर्ग को निराशा हाथ लगी। लोगों को उम्मीद थी कि बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा। लेकिन बजट में न किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और न ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए किसी राहत का ऐलान। गरीबों के हकों पर कुठाराघात करते हुए सरकार ने प्रदेश में हजारों राशन कार्ड काटने का काम किया है। इससे हजारों परिवारों को सस्ता राशन मिलना बंद हो जाएगा।
बेरोजगारी रोकने में सरकार पूरी तरह फेल
हुड्डी ने करनाल में कहा कि बेरोजगारी रोकने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। दो साल से हरियाणा का युवा सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा है। मुख्यमंत्री ने भविष्य में जेबीटी की कोई भर्ती नहीं करने का ऐलान करके बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़का है। उनकी सरकार में 20 हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती निकली थीं। लेकिन, इस सरकार के छह साल में एक भी भर्ती नहीं निकाली गई। सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद करने का ऐलान कर दिया। प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली हैं। इसके बावजूद सरकार टीचर्स की भर्ती नहीं कर रही है।
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