पार्टी छोड़ नेता बन गए पूर्व विधायक भरत सिंह छौक्कर, इस बार भाजपा को अलविदा बोला
सर्दी के मौसम में पानीपत की सियासत में एक उबाल आया है। समालखा के नेता भरत सिंह छौक्कर ने भाजपा को अलविदा कह दिया है। वैसे वह अब तक सभी बड़े दलों में घूम चुके हैं। सभी दलों को किसी न किसी कारण छोड़ चुके हैं।
पानीपत, जेएनएन। भरत सिंह छौक्कर। कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक। वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़े थे। इन दिनों भाजपा में थे। अब उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी है। दरअसल, अब उनकी पहचान ही पार्टी छोड़ने वाले नेता की हो गई है। हरियाणा के सभी दलों में वह रह चुके हैं। इस बार उन्होंने किसानों के समर्थन में भाजपा को अलविदा किया है। कहा है कि वह पार्टी से छुट्टी ले रहे हैं। किसानों के साथ रहेंगे।
बसपा से अपनी राजनीतिक करिअर की शुरुआत करने वाले भरत सिंह छौक्कर ने बाद में कांग्रेस पार्टी का झंडा उठा लिया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बदौलत टिकट भी मिल गया। वह चुनाव जीत गए। लेकिन अगला चुनाव आते-आते उनके नंबर कट गए। 2009 में कांग्रेस ने संजय छोक्कर को टिकट दे दिया। इस बात पर वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी छोड़ दी। समालखा से तब की हरियाणा जनहित कांग्रेस यानी हजकां की टिकट पर चुनाव लड़ रहे धर्म सिंह छौक्कर का समर्थन कर दिया। धर्म सिंह छौक्कर जीत भी गए। इस दौरान भरत सिंह हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई से भी मिले।
हजकां से भी मोह भंग
पर कुछ समय बाद इनका हजकां से भी मोह भंग हो गया। हजकां को बाय-बाय करने के बाद इन्होंने राजकुमार सैनी का समर्थन कर दिया। राजकुमारी सैनी भाजपा को छोड़कर अपनी पार्टी बना चुके थे। पर देखा कि राजकुमार सैनी के साथ रहने का फायदा नहीं है तब उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा का दाम थामा। हालांकि इससे पहले भी वह भाजपा में रह चुके थे। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी पर ऐसा नहीं हुआ। फिर भी पार्टी में बने रहे। पर अब किसान आंदोलन का तर्क देते हुए भाजपा को अलविदा बोल दिया है।
तहसील वाले नेता हो गए थे
भरत सिंह छौक्कर जब विधायक थे, तब उन्हें तहसील वाले नेता के नाम से भी लोग बुलाने लगे थे। दरअसल, उन्होंने तहसील से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए तहसील में ही डेरा डाल लिया था। सारा दिन तहसील कार्यालय में ही रहते। लेागों के काम कराते। कहते थे कि तहसील से भ्रष्टाचार खत्म कराके रहेंगे।
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