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पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे गणपति बप्पा, कुछ यूं शुरू हुई उत्सव की तैयारी Panipat News

इस बार गणपति महोत्सव में बप्पा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते नजर आएंगे। मिट्टी और चाक से तैयार भगवान गणेश की प्रतिमाएं हो रही हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 09:50 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 09:50 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे गणपति बप्पा, कुछ यूं शुरू हुई उत्सव की तैयारी Panipat News
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे गणपति बप्पा, कुछ यूं शुरू हुई उत्सव की तैयारी Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। गणपति बप्‍पा आपको पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करेंगे। नदियां और नहर को प्रदूषित होने से बचाने और पौधा लगाने का संदेश देंगे। कुछ ऐसी ही तैयारियां चल रही हैं गणपति बप्‍पा की मूर्ति बनाने से लेकर पंडाल सजाने तक में। 

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गणेश चतुर्थी की तैयारियां शुरू हो गई है। इस बार कारीगर भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे हैं। यही वजह है कि इस बार पीओपी की मूर्तियां नहीं बनाई जा रही है। कारीगर चाक व मिट्टी से मूर्तियां तैयार कर रहे हैं। ताकि विर्सजन के समय ये मूर्तियां पानी में घुल जाएं। 

पड़ोसी राज्‍यों में भी मूर्तियों की मांग

हर वर्ष की तरह इस बार भी कारीगर गणेश जी की प्रतिमा तैयार करने में जुट गए हैं। पेपर मिल ग्राउंड में अलग-अलग जगह कारीगर इन मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। यहां तैयार होने वाली मूर्तियां पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के जिलों में भी जाती हैं।

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पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी हैं मिट्टी की मूर्तियां

कोलकाता के कारीगर शीषपाल व जीत सिंह ने बताया कि इस बार उन्होंने मिट्टी व चाक से मूर्तियां तैयार की है। पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए यह पहल की गई है। हमारे पास 150 से 22 हजार रुपये तक की मूर्तियां हैं। श्रद्धालु भी इन्हें बेहद पसंद कर रहे हैं। अन्य कारीगर भी इस बार चाक व मिट्टी की ही मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। वह हर वर्ष यहां पर मिट्टी की प्रतिमाएं तैयार करने के लिए आते हैं।

पंडाल में भी विशेष तैयारी

इस बार शहर में लगने वाले कई गणपति पंडाल को हरे भरे पेड़ों से सजाया जाएगा। साथ ही पौधरोपण से होने वाले फायदे और नदियों को प्रदूषण से बचाने का भी संदेश दिया जाएगा।

लोगों का नैतिक कर्तव्‍य

मेयर मदन चौहान का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए यह बेहद जरूरी है। मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पानी में आसानी से विसर्जित हो जाती है। नदियों को प्रदूषित होने से बचाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है। 


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