लोन चुकाने की लगाई गुहार, बैंक कर्मी नहीं मानें, पोल्ट्री फार्म सील किया तो निगला जहरीला पदार्थ
करनाल में लोन की राशि चुकता न करने की वजह से पोल्ट्री फार्म को सील करने के लिेए बैंक कर्मी पहुंचे। 10 लाख की नकदी व जेवर लेकर फार्म बचाने की गुहार लगाता रहा। नहीं माने बैंक अधिकारी तो आत्महत्या का कदम उठाया।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। करनाल के गांव भैणी खुर्द में वीरवार को उस समय हड़कंप मच गया जब लोन चुकता न करने पर बैंक की टीम दलबल के साथ दो पोल्ट्री फार्म सील करने पहुंच गई। संचालक 10 लाख की नकदी व जेवरात देने की पेशकश करते हुए फार्म बचाने की गुहार लगाता रहा, लेकिन अधिकारी नहीं माने तो आहत होकर उसने जहरीला पदार्थ निगल लिया। सेक्टर 12 स्थित निजी अस्पताल में उसकी हालत गंभीर बनी है।
गांववासी रवि ने बताया कि उसके चचेरे भाई करीब 29 वर्षीय संदीप व ताऊ कर्ण सिंह पिछले कई वर्ष से पोल्ट्री फार्म चला रहे हैं। 2013 में संदीप ने बैंक से करीब एक करोड़ 30 लाख रुपये का लोन लिया। अभी उस पर बैंक की ओर से करीब एक करोड़ रुपये बकाया बताए जा रहे हैं। जबकि दूसरे फार्म के लिए कर्ण सिंह पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये का लोन बकाया बताया गया है। वर्ष 2015 में फार्म में बीमारी व अन्य हालात के चलते वे लोन की किस्तें समय पर चुकाने में सक्षम नहीं रहे, लेकिन कुछ राशि समय-समय पर देते भी रहे। उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि वीरवार को बिना किसी नोटिस के ही बैंक अधिकारी व रिकवरी एजेंट पुलिस बल के साथ पहुंच गए और आसपास स्थित दोनों फार्म सील कर दिए।
संदीप ने अधिकारियों से गुहार लगाते हुए 15 दिसंबर तक का समय मांगा, लेकिन बैंक अधिकारी 40 लाख रुपये पर सहमति जताते हुए मौके पर ही यह रकम देने को लेकर अड़ गए। संदीप किसी तरह 10 लाख रुपये की नकदी व घर से जेवरात लेकर पहुंचा और उन्हें देने की पेशकश की, लेकिन बैंक अधिकारियों ने इन्कार कर दिया। रिकवरी एजेंट गाडिय़ों में मुर्गियां भरने लगे, जिनका भाव भी मार्केट से करीब आधा लगाया गया। ऐसे में आहत होकर संदीप ने मौके पर ही जहरीला पदार्थ पी लिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उसे निजी अस्पताल लाया गया तो वहीं बैंक व रिकवरी अधिकारी मौके से निकल गए।
बोली तक नहीं कराई : बलजीत
संदीप के पिता बलजीत ने बताया कि बैंक अधिकारियों ने सब कुछ मनमानी से किया। बोली तक नहीं कराई। वे 52 रुपये प्रति मुर्गा उठाने लगे और दो गाडिय़ां भर लीं। उन्होंने कुछ किसान बोली के लिए बुलाए तो रेट 76 रुपये तक भी पहुंच गया, लेकिन बैंक अधिकारियों ने इसे मानने से इन्कार कर दिया और वे 52 रुपये के रेट पर ही अड़े रहे, जिसके चलते उसके इकलौते बेटे ने जहरीला पदार्थ निकल लिया। इसके बाद बैंक अधिकारी व रिकवरी एजेंट मुर्गों से भरी गाड़ी छोड़कर निकल गए।
तमाम पहलुओं से की जा रही जांच
इस मामले में सदर थाने के एसएचओ बलजीत सिंहह ने बताया कि मामले की तमाम पहलुओं से जांच की जा रही है। फिलहाल पोल्ट्री संचालक के बयान का इंतजार किया जा रहा है। दूसरी ओर, बैंक अधिकारियों ने इस मामले में फिलहाल आधिकारिक रूप से कोई बात नहीं कही।