जींद के गांव रधाना के किसान की बाजरे की फसल बनी चर्चा का विषय, आई चार फीट की सिरटी
हरियाणा में जींद के गांव रधाना के किसान नरेश की बाजरे की फसल चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका कारण है बाजरे की सरटी की लंबाई जो तीन से चार फीट की है। किसान को बाजरे का ये बीज राजस्थान के जोधपुर से पिछले साल मिला था।
जींद, जागरण संवाददाता। जींद के गांव रधाना गांव के निवर्तमान सरपंच नरेश के खेत में खड़ी बाजरे की फसल लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। फसल की कटाई भी नहीं हुई है, उससे पहले ही उसे खरीदने के लिए हरियाणा के साथ-साथ आसपास के दूसरे राज्यों से भी डिमांड आ रही है।
इसका कारण है बाजरे की सरटी (सिट्टे) की लंबाई, जो तीन से चार फीट की है। एक बार सुनने पर किसी को इस पर विश्वास नहीं होता। क्योंकि सामान्य तौर पर बाजरे की सरटी की लंबाई एक फीट तक ही होती है। उसके पास फसल देखने के लिए किसान आते हैं और वीडियो काल कर भी लोग बाजरे की सरटी देख रहे हैं।
राजस्थान के बीच का कमाल
नरेश को बाजरे का ये बीज राजस्थान के जोधपुर से पिछले साल मिला था। उसका दोस्त कोच अजीत जोधपुर में रहता है। उसने नरेश को बाजरे की चार से पांच फीट तक की लंबी सरटी का फोटो भेजा था और बताया कि उसके यहां एक किसान के खेत में बाजरे की फसल में ये सरटी लगी हुई हैं।
नरेश ने उसकी भेजी फोटो पर विश्वास नहीं किया। जिसके बाद कोच अजीत ने उस किसान के खेत में जाकर वीडियो काल कर नरेश को बाजरे की फसल दिखाई। जिसके बाद नरेश को विश्वास हुआ और बाजरे का बीज लेने की इच्छा जताई। उस किसान ने दो हजार रुपये प्रति किलो बीज नरेश को दिया। नरेश ने इस खरीफ सीजन में एक एकड़ में इस बाजरे के बीज की बिजाई की।
खेत में बीज अंकुरित होने के कुछ दिनों बाद करीब पांच कनाल के बाजरे के पौधों को भेड़ खा गई। अब उसके खेत में तीन कनाल में बाजरे की फसल है। नरेश का दावा है कि जितनी लंबी सरटी आई हुई है, उससे तीन कनाल में ही आठ से 10 क्विंटल बाजरे का उत्पादन होने की संभावना है। वह बाजरे की फसल में समय पर सिंचाई भी नहीं कर पाया। अगर समय पर सिंचाई करता और खाद डालता, तो शायद उत्पादन इससे और ज्यादा होता।
उसके पास कटाई से पहले ही बीज के लिए बाजरा खरीदने के लिए किसानों की मांग आ रही है। कुछ बीज कंपनियों की तरफ से भी फोन आए हैं और मुंह मांगे दाम देने को तैयार हैं। लेकिन उसने बीज कंपनी को देने की बजाय किसानों को देने का फैसला लिया है। उसने 500 रुपये किलो के हिसाब की बीज की कीमत रखी है। इस हिसाब से उसे तीन कनाल बाजरे की फसल से ही लाखों रुपये की आमदनी होगी।
बीज की किस्म की नहीं जानकारी
नरेश ने बताया कि जिस किसान से उसने बीज लिया है, उसे भी इसके बीज की किस्म का पता नहीं है। यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि दूसरे देशों से ये बीज आया है। कृषि अधिकारी भी कह रहे हैं कि अगर बीज हाइब्रिड होता, तो दोबारा बिजाई करने पर ये अंकुरित नहीं होता या सरटी इतनी लंबी नहीं होती। इसकी लंबाई ज्यादा होने के चलते कुछ लोग इसे 5जी का नाम भी ले रहे हैं। अगले साल वह धान की खेती छोड़ अपने सारे खेत में बाजरे की ही खेती करेगा।