Haryana Health Department की बदहाल व्यवस्था, मोबाइल टार्च की रोशनी में पोस्टमार्टम Panipat News
स्वास्थ्य विभाग की बदहाल व्यवस्था देखने को मिल रही है। बिना बिजली के मोबाइल टार्च की रोशनी में शव का पोस्टमार्टम करना पड़ गया।
पानीपत, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल इसराना में सड़क हादसे में मारे गए सोनीपत के शामड़ी गांव के दीपा का पोस्टमार्टम के दौरान खुल गई। हुआ यूं कि नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान बिजली गुल हो गई। इन्वर्टर की बैटरी भी खराब थी। ऐसे में फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. नारायण डबास ने स्ट्रेचर पर शव रखा और खिड़की के पास ले जाकर मोबाइल टार्च की रोशनी में पोस्टमार्टम किया।
वहीं, अंधेरा होने की वजह से डॉक्टर ने अन्य शवों का पोस्टमार्टम करने से इन्कार कर दिया। इससे गुस्साए मृतकों के परिजनों ने हंगामा कर दिया। आनन-फानन में अधिकारियों ने इन्वर्टर की नई बैटरी मंगवाई, जिसके बाद शवों का पोस्टमार्टम किया जा सका। बता दें कि शवगृह में दो महीने से बिजली की दिक्कत चल रही है।
पूर्व मंत्री ने भी कॉल की, डॉक्टर ने इन्कार किया
दीपा के शव के पोस्टमार्टम के बाद भी बिजली नहीं आई थी। देहरा गांव में शनिवार को जहर से मरे 23 वर्षीय देवेंद्र का शव एंबुलेंस में था। स्वजनों ने पोस्टमार्टम कराने के लिए पूर्व मंत्री व कई आला अधिकारियों से कॉल करवाई। डॉ. डबास ने कहा कि अंधेरे में पोस्टमार्टम संभव नहीं है और इन्कार कर दिया।
चार बार भेज चुके डिमांड, हॉटलाइन का कनेक्शन भी नहीं जोड़ा
डॉ. नारायण डबास ने बताया कि वह चार बार एमएस को बैटरी के लिए डिमांड भेज चुके हैं। साथ ही मांग की थी कि हॉटलाइन से शवगृह को जोड़ा जाए। शवगृह को छोड़कर सारा अस्पताल हॉटलाइन से कनेक्ट है। वहीं शवगृह को बस स्टैंड के फीडर की लाइन से जोड़ा गया है। इसी वजह से लाइन की मरम्मत होते ही बिजली गुल हो जाती है। रविवार को भी लाइन की करीब पांच घंटे मरम्मत चली।
एक माह पहले भी बैटरी लाकर कराना पड़ा था शव का पोस्टमार्टम
गत महीने थर्मल के पास सड़क हादसे में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी। अस्पताल के शवगृह में बिजली नहीं थी। साथी पुलिसकर्मी बैटरी लेकर आए तब जाकर पोस्टमार्टम हुआ। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने शवगृह में बिजली व्यवस्था में सुधार करने की जहमत नहीं उठाई।
शवगृह में बिजली गुल होने के कारण पोस्टमार्टम करने में असुविधा हुई। यहां पर दो नई बैटरी लगवा दी हैं। शीघ्र ही शवगृह को हॉटलाइन से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा।
डॉ. आलोक जैन, एमएस, सिविल अस्पताल।