आयुर्वेद की दवाओं का वैज्ञानिक गुण सामने लाएगा आयुष विश्वविद्यालय
श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में अनुसंधान एवं विकास पर ज्यादा काम होगा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में अनुसंधान एवं विकास पर ज्यादा काम होगा। आयुर्वेद के 14 विभागों के लिए ऐसी अत्याधुनिक लैब तैयार की जाएंगी, जिसमें विशेषज्ञ और विद्यार्थी रिसर्च कर सकेंगे। आयुर्वेद की दवाओं के पीछे के साइंटिफिक तथ्यों को तलाशा जाएगा। यह अपने आप में पहला ऐसा विश्वविद्यालय होगा। यह कहना है श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ. बलदेव का। उन्होंने दैनिक जागरण संवाददाता विनीश गौड़ से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यहां नई औषधियों की खोज की जाएगी। यहीं पर एक पेटेंट कराने के लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा, जो उन औषधियों को रिसर्च करने वाले विशेषज्ञ और विश्वविद्यालय के नाम से पेटेंट करने की प्रक्रिया पर काम करेगा। प्रश्न : कई प्रकार के औषधीय पौधे लुप्त हो रहे हैं उनके लिए विश्वविद्यालय क्या करेगा?
उत्तर : आयुष विश्वविद्यालय ऐसे औषधीय पौधों की न केवल खोज करेगा, बल्कि उनका उत्पादन भी करेगा। विश्वविद्यालय उनके संरक्षण, संवर्धन पर भी काम करेगा। ऐसे पौधों पर रिसर्च वर्क किया जाएगा। प्रश्न : विश्वविद्यालय में अभी क्या गतिविधियां चल रही हैं?
उत्तर : विश्वविद्यालय बनाने के लिए जमीन गांव की पंचायत द्वारा हैंडओवर कर दी गई है। अब उस पर इमारत बनाने के लिए प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। आयुष विश्वविद्यालय अपने आप में देश का पहला विश्वविद्यालय है। ऐसे में इसे इस तरह से तैयार किया जाएगा कि यह देश भर में हर तरह से अलग पहचाना जाए। इसके लिए विश्वविद्यालय व कॉलेज प्रशासन मिलकर काम कर रहा है। इसी महीने 13 अगस्त को विश्वविद्यालय में एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिसमें इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श लिए जाएंगे। इन दो दिनों में आने वाले सुझावों पर विश्वविद्यालय प्रशासन काम करेगा। प्रश्न : विश्वविद्यालय को बीएएमएस, बीएचएमएस की काउंसि¨लग कराने का जिम्मा सौंपा गया है वह कब तक होगी?
उत्तर : बीएचएमएस, बीएचएमएस व अन्य कोर्सेज में दाखिले की प्रक्रिया का जिम्मा इस बार श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय को सौंपा गया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। प्रदेश भर के 12 कॉलेज के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन काउंसि¨लग कराएगा। मगर अभी इसमें कुछ दिन लग सकते हैं, क्योंकि कॉलेजों की सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन से अप्रूवल मिलनी बाकी है। उसके आते ही प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। प्रश्न : श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के साथ लगते अस्पताल में सात नई ओपीडी शुरू करने पर क्या किया?
उत्तर : आयुर्वेदिक अस्पताल में पहले केवल सात विभागों की ही ओपीडी चल रही थी मगर अब यहां 14 विभागों में मरीजों का उपचार किया जा रहा है। मरीज इन ओपीडी में काफी रुचि लेकर उपचार करा रहे हैं।
प्रश्न : आयुर्वेद के प्रचार के लिए विश्वविद्यालय क्या कर रहा है?
उत्तर : विश्वविद्यालय प्रशासन आयुर्वेद के प्रचार और प्रसार के लिए तत्पर है और इसी उद्देश्य से मर्म उपचार पद्धति का एक विशाल शिविर लगाने जा रहा है। मर्म स्पर्श वह पद्धति है जिसमें मरीजों का उपचार शरीर के कुछ प्वाइंट्स को दबाकर किया जाता है। शरीर में करीब 107 प्वाइंट होते हैं, जिन्हें दबाने से कई बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। मगर इसे दबाने की एक टेक्निक है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आपने फिल्मों में देखा होगा कि एक व्यक्ति के गर्दन पर मारने से वह बेहोश हो जाता है। आयुष की गुरुग्राम की एक चिकित्सक ने हवाई जहाज में बीमार एक व्यक्ति को मर्म पद्धति से ही उपचार देकर ठीक किया है। यह कुछ ही दिनों पहले का वाक्या है। ऐसे में यह बेहद ही पुरानी पद्धति है। यह दर्द से लेकर कई तरह की बीमारियों में कारगर उपचार का काम करते हैं।