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इस तकनीक से फसलों को कीटों और कीटनाशक से मिलेगी मुक्ति, किसानों की बढ़ेगी आय

नई तकनीक की मदद से फसलों को हानिकारक कीटों से बचाया जा सकता है। तकनीक का नाम फिरोमोन ट्रेप है। इस तकनीक के जरिए किसान न सिर्फ कीटों पर कंट्रोल पा सकते हैं बल्कि फसलों को भी जहर मुक्त बना सकते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 04:30 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 04:30 PM (IST)
फिरोमोन ट्रेप तकनीक से होगा हानिकारक कीटों का खात्मा

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। सब्जियों की फसलों को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए दवाइयों के छिड़काव की जरूरत नहीं है। फसल को सुरक्षित रखने के लिए मादा कीटों की गंध ही काफी रहेगी। यह कृत्रिम गंध किसानों को उद्यान विभाग की ओर से उपलब्ध करवाई जाएगी। हानिकारक कीटों को मारने के लिए इजाद की गई इस तकनीकी का नाम फिरोमोन ट्रेप है। इसको खेत में निर्धारित जगहों पर रख दिया जाएगा। जैसे ही नर कीट इसकी ओर आकर्षित होगा, वैसे ही इसकी चपेट में आकर मर जाएंगे। 

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यह है फिरोमोन ट्रेप

उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक फिरोमोन ट्रेप के जरिए किसान न सिर्फ कीटों पर कंट्रोल पा सकते हैं, बल्कि फसलों को भी जहर मुक्त बना सकते हैं। सब्जियों की फसल में मादा कीट नर कीट को आकर्षित करने के लिए एक केमिकल छोड़ते हैं। जिसे फिरोमोन कहा जाता है। इस फिरोमोन से नर कीट मादा की ओर आकर्षित होते हैं। इसके अलावा सोलर संचालित एलइडी लाइटें विभाग की ओर से अनुदान पर मुहैया करवाई जाएंगी। ये लाइटें हानिकारक कीटों को अपनी ओर आकर्षित करेंगी। 

75 प्रतिशत अनुदान 

फिरोमोन ट्रेप पर विभाग की ओर से 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार एक एकड़ में 10 से 20 ट्रेप लगाए जाते हैं। जिस पर करीब 1600 रुपए तक का खर्च आता है। किसान को 1200 रुपए तक का अनुदान दिया जाता है। यानी मात्र 400 रुपए का खर्च ही किसान को करना पड़ता है। टमाटर व बेल वाली सब्जियों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है। 

30 हजार हेक्टेयर में सब्जियों की फसल 

जिला उद्यान अधिकारी डा. कृष्ण कुमार ने बताया कि जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर पर सब्जियों की फसलें उगाई जाती हैं। इनमें लहसुन, आलू, प्याज, गोभी व बेल वाली सब्जियां शामिल हैं। हालांकि कीटों को नियंत्रित करने के लिए कई तरह के ट्रेप प्रयोग किए जा सकते हैं। लेकिन फिरोमोन ट्रेप काफी कारगर साबित हो रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस गंध को तैयार किया है। इसके प्रयोग से नर कीटे पकड़े जाते हैं। प्रजनन न होने के कारण इनका विस्तार नहीं हो सकता। अलग-अलग किस्म के ट्रेप के लिए अनुदान की राशि भी अलग-अलग निर्धारित है।


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