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ट्रेनाें में हादसे के शिकार को मुआवजे की व्‍यवस्‍था जांच में ही अटकी, पेडिंग में 11 हजार केस

ट्रेनों में हादसे के शिकार यात्रियों के लिए मुआवजा देने का प्रविधान है लेकिन इससे संबंधित मामले जांच में ही अटके रहते हैं। इस वजह से पीडि़तों को मुआवजा समय पर मिलना मुश्किल हो गया है। रेलवे में मुआवजे के करीब 11 हजार मामले पेडिंग में पड़े हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 01:23 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 01:23 PM (IST)
ट्रेनों में हादसे का शिकार होने पर मुआवजे का प्रविधान है। (सांकेतिक फोटो)

अंबाला, [दीपक बहल]। ट्रेन में सफर के दौरान यात्री की मौत या फिर अंग-भंग हो जाने पर मुआवजा देने का प्राविधान है। मृतक के स्वजन मुआवजे के लिए रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (आरसीटी) में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते हैं लेकिन रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) जांच को लटकाती रही। यही कारण है कि हादसे में हुई मौतों की करीब 11 हजार जांच पेंडिंग हैं।

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सफर के दौरान यात्री की मौत होने पर आठ लाख रुपये का मिलता है मुआवजा

राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) जहां 30 दिन में जांच पूरी कर लेती है वहीं आरपीएफ इसी जांच में 130 दिन का लंबा समय लगा देती है। दरअसल, यात्री की मौत होने पर आरपीएफ और जीआरपी दोनों ही जांच करती हैं। हाल ही में देशभर के 16 जोन में दोनों सुरक्षा एजेंसियों की जांच में होने वाली लेटलतीफी पर दो साल की समीक्षा हुई। इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

जीआरपी जिस जांच को 30 दिन में निपटाती, उसी पर आरपीएफ लगा देती 130 दिन का समय

उत्तर रेलवे के अंबाला, फिरोजपुर, मुरादाबाद और लखनऊ मंडल की बात करें तो आरपीएफ ने 1085 मामलों में औसतन एक जांच 73 दिन में पूरी की है जबकि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश की जीआरपी ने यही जांच 35 दिन में पूरी की। इसी तरह पूर्व मध्य रेलवे जोन में 713 मामलों में औसतन एक मामले की जांच में आरपीएफ की लेटलतीफी 130 दिन की रही, जबकि जीआरपी का आंकड़ा यहां महज 30 दिन का रहा।

दक्षिण पश्चिम रेलवे में जीआरपी की जांच में भी लेटलतीफी रही। 96 मामलों में जहां आरपीएफ एक केस की 60 दिन में जांच पूरी कर रही है वहीं जीआरपी ने इसमें 180 दिन लिए। देशभर में 10 हजार 239 मामलों में आरपीएफ ने जहां 86 दिन औसतन एक मामले की जांच में लगाए वहीं जीआरपी का यह आंकड़ा 68 दिन का रहा। हालांकि, रेलवे ने चार साल में करीब 1288 करोड़ मुआवजे के लिए जारी किया है।

इस तरह होती है दोनों एजेंसियों की जांच

यात्री की मौत के बाद जीआरपी सीआरपीसी की धारा 174 के तहत  इत्तेफाक हादसे की कार्रवाई करती है। मृतक की जेब से टिकट या फिर अन्य जो भी दस्तावेज मिलते हैं उन्हेंं जमा तलाशी में दर्शाया जाता है। इसी तरह आरपीएफ मामला मुआवजे से जुड़ा हो या न हो लेकिन मृतकों का ब्योरा आरपीएफ भी जुटाती है।

आरपीएफ इंस्पेक्टर मृतक की जांच रिपोर्ट, घटनास्थल पर क्या-क्या बरामद हुआ इसका ब्योरा जीआरपी ले लेती है। अधिकांश मामलों में आरपीएफ जांच यह साबित करती है कि यात्री की मौत रेलवे की लापरवाही से नहीं हुई। जबकि रेलवे की लापरवाही साबित होने पर ही मुआवजा मिलता है। फिर भी अंतिम फैसला आरसीटी पर ही टिका होता है।

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जोन                   केस संख्‍या            आरपीएफ जांच          जीआरपी जांच

मध्य रेलवे            941                         120                       64

पूर्वी रेलवे              161                          58                        54

पूर्व मध्य रेलवे       713                         130                       30

ईस्ट कोस्ट रेलवे     339                          61                        82

उत्तर रेलवे             1085                        73                        35

उत्तर मध्य रेलवे      1012                      106                       70

पूर्वोत्तर रेलवे            514                        122                      33

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे 195                        110                       81

उत्तर पश्चिम रेलवे     265                         50                        55

दक्षिणी रेलवे           338                         62                        46

दक्षिण मध्य रेलवे     543                        60                       84

दक्षिण पूर्व रेलवे       180                         69                      63

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 120                       42                       31

दक्षिण पश्चिम रेलवे     96                        60                       180

पश्चिम मध्य रेलवे      344                       61                       57

वेस्टर्न रेलवे              3393                     79                       92

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कुल संख्या               10239                    86                     68

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2020 मेें सबसे अधिक पेंडिंग हुए मामले-

  • सन् 2020 में देश भर में इस तरह के 6679 हादसे हुए, जबकि 754 अन्य मामले में पीड़ित पक्ष सीधा आरसीटी के पास पहुंचा।
  • साल 2021 में 2278 मौतें हुईं, जिनमें से 828 सीधा आरसीटी पहुंचे।
  • सन् 2020 में सबसे अधिक लंबित जांच उत्तर रेलवे की 1563 रही, जबकि साल 2021 में मध्य रेलवे की 439 हैं।
  • यात्रा के दौरान मृतक की जेब से यदि टिकट मिलता है तो उसके स्वजन मुआवजे के लिए दावा पेश कर सकते हैं।
  • यात्री की मौत के बाद जांच जीआरपी करती है, लेकिन मामला यदि मुआवजे से जुड़ा हो तो आरपीएफ भी जांच करती है।
  • घटनास्थल के निकट वाले रेलवे स्टेशन के अधीक्षक मेमो दी जाती है।
  • जीआरपी पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजनों को सौंपती है, जबकि आरपीएफ जांच करती है कि मौत के कारण क्या रहे।
  • किसी यात्री को आत्महत्या के प्रयास के कारण चोट लगती है या उसकी मौत होती है तो कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।

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'' चाहे मृतक के स्वजन मुआवजे के लिए दावा पेश करें या नहीं। जांच कर चीफ क्लेम आफिसर को भेज देते हैं।

यह गंभीर मामला है। कितने मामलों की जांच पेंडिंग है, यह रिपोर्ट देखकर ही बता पाऊंगा।

                                                                                  - एसएन पांडे, आइजी, आरपीएफ, उत्तर रेलवे।


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