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समझौता ब्लास्ट- एक ईमेल ने रोक दिया फैसला, पहली बार होगी पाकिस्‍तानी की गवाही

पानीपत के दिवाना के पास समझौता ट्रेन में हुआ था ब्‍लास्‍ट। 68 लोगों की मौत हुई। कोर्ट ने सुनाना था फैसला। अब 14 मार्च तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 12:13 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 10:57 AM (IST)
समझौता ब्लास्ट- एक ईमेल ने रोक दिया फैसला, पहली बार होगी पाकिस्‍तानी की गवाही
समझौता ब्लास्ट- एक ईमेल ने रोक दिया फैसला, पहली बार होगी पाकिस्‍तानी की गवाही
पानीपत, जेएनएन। समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में कोर्ट का फैसला आते-आते रुक गया। एक ईमेल के बाद निर्णय को 14 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया गया है। अब घायल पाकिस्तानी नागरिकों की गवाही अहम हो गई है। अब तक माना जा रहा था बार-बार समन भेजने के बाद भी हादसे में घायल पाकिस्तानी व अन्य कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। अब ब्लास्ट में मरे मोहम्मद वकील की बेटी राहिला के वकील मोमिन मलिक ने पाकिस्तान से आए ई-मेल का हवाला देकर 311 सीआरपीसी 1973 के तहत चश्मदीदों की गवाही कराने की अपील की है।
पानीपत के एडवोकेट मोमिन मलिक ने बताया कि समालखा के गांव दीवाना के पास 18 फरवरी, 2007 को समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 68 यात्रियों की मौत हुई थी और करीब 12 घायल हुए थे। मृतकों और घायलों में अधिकांश पाकिस्तान के नागरिक थे। मरने वालों में गांव डि‍गरावली, जिला हाफजाबाद पाकिस्तान का निवासी मोहम्मद वकील भी था। राहिला ने पाकिस्तानी समाचार चैनलों पर समझौता एक्सप्रेस विस्फोट की सुनवाई पंचकूला की विशेष एनआइए कोर्ट में होने की खबर देखी। उसने तुरंत उन्हें ई-मेल कर बताया कि ब्लास्ट केस में फैसला आना है और उसे व अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया है। मोमिन मलिक की मानें तो ई-मेल मिलने पर उन्होंने एनआईए कोर्ट में राहिला सहित कई अन्य को गवाही के लिए बुलाने की अपील की।कोर्ट ने अपील को मंजूर कर लिया और निर्णय को 14 मार्च तक सुरक्षित रखा है।

घरौंडा का मूल निवासी था मुहम्मद
एडवोकेट मोमिन मलिक ने बताया कि मुहम्मद वकील मूल रूप से घरौंडा, करनाल का रहने वाला था और बंटवारे के समय परिवार के संग पाकिस्तान चला गया था।

ये पड़ सकता है केस पर असर
एडवोकेट मोमिन मलिक ने बताया कि वह राहिला के वकील हैं। इस केस में कुछ मुख्य चश्मदीदों की गवाही कोर्ट में नहीं हुई है, जबकि वे ब्लास्ट में घायल भी हुए थे। ब्लास्ट के आरोपितों को गवाहों ने पहचान लिया और गवाही दे दी तो कोर्ट को निर्णय लेने में आसानी होगी। केस में अगली तारीख भी दी जा सकती है।

गृह मंत्रालय में लगाई थी आरटीआइ, तब हुई पहचान  
एडवोकेट की मानें तो उन्होंने राहिला के कहने पर गृह मंत्रालय में आरटीआई लगाकर मुहम्मद वकील के संबंध में जानकारी मांगी थी। राहिला को पता नहीं था कि उनके पिता ब्लास्ट में मर चुके हैं। आरटीआइ के बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत विभिन्न प्रदेशों की 90 जेलों से जवाब आया था कि इस नाम का कोई पाकिस्तानी नागरिक जेल में नहीं है। बाद में गृह मंत्रालय से उत्तर मिला था कि मुहम्मद वकील ब्लास्ट में मर चुका है।

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