Amazing Farming: कैथल के किसान का कमाल, परंपरागत खेती छोड़ हो गए मालामाल, दूसरों को दे रहे रोजगार
कैथल में किसान राजेश ने परंपरागत खेती में हो रहे नुकसान की वजह से सात एकड़ में बाग लगाने का फैसला किया। सालाना साढ़े 11 लाख रुपये की कर रहे हैं आमदनी। छह एकड़ में है अमरूद एक एकड़ में नींबू चिकू आडू व जामुन लोगों को दे रहे स्थायी
कैथल, [सोनू थुआ]। परंपरागत खेती में लगातार हो रहे घाटे से परेशान होकर गांव सीवन के किसान राजेश रहेजा ने बाग लगाने की ठानी। किसान राजेश बताते है कि परंपरागत खेती से सालाना खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा था। परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो गया था, घाटे को उभारने के लिए फलों का बाग लगाने की सोची। शुरूआत में कुछ लोगों ने डराया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। दो एकड़ में अमरुद का बाग लगा दिया।
दो एकड़ अमरूद के बाग से शुरूआत में खर्च निकालकर दो लाख रुपये की आमदनी हुई। उसके बाद चार एकड़ में ओर अमरूद का बाग लगाया। अमरूद के छह एकड़ बाग से सालाना नौ लाख रुपये आमदनी होना शुरू हो गई, उसके बाद एक एकड़ में नींबू, चिकू, आडू व जामुन का बाग भी लगा दिया। उससे भी डेढ़ लाख रुपये की सालाना आमदनी हो रही है। किसान बताते है कि सात एकड़ के बाग के विभिन्न फलो से साढ़े 11 लाख रुपये सालाना आमदनी हो रही है।
पांच लोगों को दिया हुआ है स्थायी रोजगार
किसान राजेश ने बताया कि बाग में पांच के करीब लोगों को स्थायी रोजगार भी दिया हुआ है। जबकि 15 के करीब लोगों को बाग में फल को तोड़ने और बेचने, मंडियों तक में पहुंचाने का काम करवाया जा रहा है। पांच लोगों को निराई, गुड़ाई व सफाई के लिए रखा हुआ है।
यहां- यहां होता है बाग का फल सप्लाई
किसान राजेश रहेजा ने बताया कि वे मंडी के साथ- साथ खेत से ही व्यापारी अमरूद, नींबू, किन्नू, आडू व चीकू को खरीदकर ले जाते हैं। अमरूद बेचने के लिए कम ही मंडी जाना पड़ता है। खेत से ही व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं। हरियाणा के रोहतक, जींद, सिरसा, भिवानी व अंबाला तक अमरूद की सप्लाई हो रही है। वहीं पंजाब के जालंधर, अमृतसर, बठिडा शहर से अमरूद के व्यापारी आते है। दिल्ली, राजस्थान व यूपी तक भी अमरूद की अच्छी डिमांड है।
'बागवानी विभाग के जिला अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि बाग से किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं। बागवानी विभाग की तरफ से किसान को बाग लगाने के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। पहले साल 4600 रुपये एकड़। दूसरे साल देखरेख के लिए 1533 और तीसरे साल भी 1533 रुपये की अनुदान राशि बाग लगाने के लिए सरकार देती है।'