नारे लगते ही अभय चौटाला बोले, भाई बस करो, नया पंगा न करवा देना
नारे लगे तो नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला बोले, इन नारों के कारण पहले ही कई गलतफहमी का शिकार हो गए। सांसद दुष्यंत समर्थक नहीं पहुंचे कार्यक्रम में।
जेएनएन, पानीपत - ओमप्रकाश चौटाला के सामने नारेबाजी के बाद से इंडियन नेशनल लोकदल अंतरकलह से जूझ रहा है। अभी तक पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने वाले अभय चौटाला ने अपने समर्थकों को नारेबाजी करने से मना कर दिया है। कैथल में पार्टी के सम्मेलन में जब उनके कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए तो अभय चौटाला बोले कि इन नारों के कारण पहले ही कई लोग गलतफहमी का शिकार हो गए हैं। अब फेर मत कोई पंगा खड़ा करवा देना। नारे लगाने वालों का काम तो चल जाएगा, लेकिन जो शिकार हुए उनका क्या होगा यह आप लोग देखना।
इसके बाद सभी कार्यकर्ता पार्टी के अंदर क्या चल रहा है, यह सुनने को बेताब दिखाई दे रहे थे लेकिन अभय चौटाला ने नपा तुला और बहुत छोटा भाषण दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से इतना ही कहा कि कांग्रेस और भाजपा के नेता उनकी पार्टी को तोडऩे का काम कर रहे हैं। उनके बहकावे में न आकर पार्टी को मजबूती देने का काम करना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एक बार एसवालएल मुद्दे पर आंदोलन करने को लेकर राय मांगी तो कार्यकर्ताओं ने हाथ खड़ा कर आंदोलन शुरु करने की बात कही।
एंबुलेंस निकली तो ली कांग्रेस पर चुटकी
काफी देर जब सम्मेलन स्थल पर एंबुलेंस के सायरन की आवाज गुंजती रही और सभी कार्यकर्ता खड़े होकर देखने लगे तो नेता प्रतिपक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि बैठ जाओ एंबुलेंस है। किसी कांग्रेसी को लेकर जा रही होगी। जिन्होंने पार्टी को तोडऩे के इतने प्रयास किए, लेकिन जब इतनी भीड़ देखी तो अस्पताल की तरफ जाना पड़ा होगा।
चौ. ओमप्रकाश चौटाला के काफिले से की अभय के काफिले की तुलना
दुष्यंत और दिग्विजय की पार्टी से छुट्टी के बाद इनेलो नेताओं के लिए कैथल कार्यकर्ता सम्मेलन नाक का सवाल बन गया था। सम्मेलन कर पार्टी नेता संदेश देना चाहते थे कि युवा उनके साथ भी कम नहीं हैं। यही कारण था कि अंबाला बाईपास से चंदाना गेट स्थित सम्मेलन स्थल तक निकले अभय के काफिले में काफी संख्या में युवा शामिल थे। वरिष्ठ नेता व कलायत से पूर्व विधायक रामपाल माजरा ने इस काफिले को ऐतिहासिक बता इसकी तुलना चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के समय निकाले गए काफिलों से की। उन्होंने कहा कि आज से 15 वर्ष पूर्व इस तरह के काफिले निकाले जाते थे। युवाओं ने एक बार ऐसा काफिला निकाल बता दिया कि उनमें उत्साह की कोई कमी नहीं है।