सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन के पाठयक्रम में बड़े बदलाव के संकेत, हरियाणा से शुरुआत Panipat News
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में होने वाले इस राष्ट्रीय स्तर के पैनल डिस्कशन में एजुकेशन के पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
पानीपत/करनाल, [प्रदीप शर्मा]। देशभर में सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन के पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव के संकेत मिले हैं। इसकी शुरुआत हरियाणा से करने पर विचार चल रहा है। सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन में एनीमल साइंस को जोडऩे के प्रयास भी शुरू हो गए हैं।
20 दिसंबर को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान परिसर में राष्ट्रीय स्तर का पैनल डिस्कशन इसी मुद्दे पर होगा कि पाठ्यक्रम में एनीमल साइंस की क्यों जरूरत पड़ी है? इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े वैज्ञानिक, एनसीइआरआटी के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से अधिकारी व हरियाणा के राजकीय व प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपलों को आमंत्रित किया गया है।
किसान भी लेंगे हिस्सा
वैज्ञानिक बताएंगे कि इन विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़े जाने के बाद हमारी स्कूलिंग स्किल्ड बेस होगी। इस डिस्कशन में प्रगतिशील किसान भी हिस्सा होंगे। इस डिस्कशन से जो तथ्य निकलकर सामने आएंगे उनको केंद्र व प्रदेश सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
एकजुट होने की क्यों जरूरत पड़ी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व उप महानिदेशक डॉ. एमएल मदान ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि इस समय स्कूल में जो शिक्षा हम ग्रहण कर रहे हैं, वह परंपरागत है। समय बदल गया, लेकिन पाठ्यक्रम में कोई ऐसा बड़ा बदलाव नहीं हुआ। जब बच्चा स्कूल पास करके निकलता है तो उसका कॉलेज में दाखिला तो हो जाता है, लेकिन कॉलेज के बाद जब जॉब तलाशने जाता है तो उसको निराशा हाथ लगती है। इसका सबसे बड़ा कारण है स्किल एजुकेशन नहीं मिल रही है। यदि हमारा प्रयास सफल हुआ स्कूल स्तर पर हम पाठ्यक्रम में बदलाव कर पाए तो नींव मजबूत होगी और युवाओं को रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़ेगा।
एक कारण यह भी
बकौल डॉ. एमएल मदान एनिमल साइंस में बहुत बड़ा स्कोप है, लेकिन इसे बच्चे हासिल नहीं कर पाते। देशभर में जितने भी वेटनरी कॉलेज हैं, 40 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। अब ऐसे में कॉलेज से डिग्री तो मिल जाती है, लेकिन उसे प्रेक्टिकल ज्ञान जो चाहिए वह नहीं मिल पाता। यदि स्कूलिंग में यह सब सिखाया जाए तो युवाओं का भविष्य सुनहरा होगा।
देश की इकोनॉमी भी लाइव स्टॉक सेक्टर का गहरा प्रभाव
डॉ. मदान बताते हैं कि जो पैनल डिस्कशन होगा इसमें इस बात पर भी जोर दिया जाएगा कि देश की इकोनॉमी में लाइव स्टॉक सेक्टर की अहम भूमिका है। यहां पर अपार संभावनाएं हैं। पशुधन का रख-रखाव ठीक हो तो जो वर्तमान में जीडीपी ग्रोथ में इस सेक्टर की 4.50 प्रतिशत हिस्सेदारी है वह बढ़कर 7 प्रतिशत तक जा सकती है। तो फिर हम क्यों ना इस प्रकार के विषय को स्कूल स्तर पर जोड़ें? यह बहुत महत्वपूर्ण है और देश के उज्जवल भविष्य के जरूरी भी।