85 फीसद फेफड़े संक्रमित, आक्सीजन लेवल पहुंचा 40 तक, मजबूत इच्छाशक्त से सुशील ने कोरोना को हराया
यमुनानगर के स्वामी विवेकानंद अस्पताल में इलाज लेकर कोरोना को हराने वाले सुशील की कहानी प्रेरणादायक है। उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले हैं। कोरोना होने पर एक महीने तक अस्पताल में रहे। परिवार और डॉक्टर उन्हें हिम्मत देते रहे।
यमुनानगर [अवनीश कुमार]। कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। मजबूत इच्छाशक्ति व सही इलाज से कोरोना को मात दी जा सकती है। उत्तराखंड के देहरादून निवासी 52 वर्षीय सुशील कुमार धीमान के 85 फीसद फेफड़े कोरोना की वजह से डिफेक्टिव हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें स्वजनों ने यमुनानगर के स्वामी विवेकानंद अस्पताल में दाखिल कराया। करीब एक माह के इलाज के बाद अब वह पूरी तरह से ठीक हैं। रविवार को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
देहरादून में परिवहन विभाग में उप लेखाकार पद पर तैनात सुशील कुमार को अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण हुआ था। हालत बिगड़ने लगी, तो स्वजनों ने उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया। जहां आराम नहीं मिला। जिस पर 23 अप्रैल को स्वजन उन्हें स्वामी विवेकानंद अस्पताल में लेकर आए। यहां पर जांच हुई, तो पता लगा कि कोरोना की वजह से फेफड़ों पर काफी असर पड़ा है। करीब 85 फीसद फेफड़ों को डैमेज किया है। यह सुनकर परिवार के लोग घबरा गए थे। खुद सुशील कुमार धीमान भी घबरा गए थे, क्योंकि उस दौरान कोरोना संक्रमण की वजह से मौतें होने की खबर भी सुन रहे थे, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें भरोसा दिया कि वह घबराएं नहीं। पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे।
ऑक्सीजन लेवल आ गया था 40 तक
सुशील कुमार धीमान ने बताया कि जब कोरोना से हालत बिगड़ने लगी, तो वह काफी घबरा गए थे। हालांकि परिवार के लोग सपोर्ट करते रहे। वह दिलासा देते रहे कि सब ठीक हो जाएगा। जब यहां अस्पताल में पहुंचा, तो डॉक्टरों ने काफी अच्छा इलाज किया। इसके साथ ही खुद को भी मजबूत किया कि घबराना नहीं है। इस बीमारी को हराना है। मजबूत इच्छाशक्ति रखी। दवाइयों का सेवन करता रहा। 29 अप्रैल को ऑक्सीजन का लेवल भी गिरकर 40 पर पहुंच गया था, लेकिन वह बिल्कुल नहीं घबराए। डॉक्टर की सलाह पर लिक्विड लेते रहे। फिर धीरे-धीरे कोरोना से रिकवरी होने लगी थी, लेकिन फेफड़ों का संक्रमण अभी दूर नहीं हुआ था।
रिपोर्ट निगेटिव आई, फिर भी निगरानी में रहे
पांच मई काे रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी। इसके बावजूद डाक्टरों की निगरानी में रहे। अब बिल्कुल ठीक हैं। उनके बेटे अनुज ने बताया कि जब ऑक्सीजन लेवल घट गया था, तो काफी घबरा गए थे। एक समय ऑक्सीजन खत्म होने की बात सामने आई थी। जिस पर प्रशासनिक अफसरों से बात की, तो तुरंत आक्सीजन सिलेंडर भिजवाया गया। हरियाणा सरकार ने काफी अच्छी व्यवस्था कर रखी है। रोजाना पिता से बात होती थी, तो वह हमेशा सकारात्मक बातें करते थे।