Move to Jagran APP

National Girl Child Day: पानीपत के बेटियों वाले 67 गांव, जहां बेटों से ज्यादा मिलता है दुलार

National Girl Child Day 24 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। पानीपत में 67 गांव ऐसे हैं जहां बेटों से ज्यादा बेटियों को प्यार और दुलार मिलता है। इन गांवों में 2021 में बेटों से अधिक बेटियां जन्मी है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:52 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:52 AM (IST)
National Girl Child Day: पानीपत के बेटियों वाले 67 गांव, जहां बेटों से ज्यादा मिलता है दुलार
National Girl Child Day: 24 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पानीपत, [राज सिंह]। 24 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) के रूप में मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में इसकी शुरुआत की थी। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि 24 जनवरी 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।तब से लेकर बेटियों के सम्मान में इस दिन को मनाया जाता है।

loksabha election banner

इस खास मौके पर हम आपको पानीपत के उन 67 गांवों से रुबरु करवाएंगे। जहां बेटों से ज्यादा प्यार और दुलार बेटियों को मिलता है। इन गांवों में साल 2021 में बेटों से ज्यादा बेटियां जन्मी है। पानीपत इसलिए भी खास है क्योंकि 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पानीपत से ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारंभ किया था। अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए। आंगन में बेटियों की खिलखिलाहट बढ़ी है। गांवों में भी बेटों से ज्यादा बेटियां जन्म ले रही हैं। जिले में 81 गांव-कालोनी ऐसी हैं ,जहां बेटियां अधिक जन्मी। कुल 67 गांव ऐसे हैं, जहां बेटों से ज्यादा बेटथ्यां जन्मी हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के सात साल पूरे 

स्वास्थ्य विभाग ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के सात वर्ष पूरा होने पर वर्ष 2021 का लिंगानुपात सीएचसी-पीएचसी आधार पर जारी कर दिया है। इसमें गांवों-कालोनियों का भी जिक्र किया गया है कि एक साल में कितनी बेटे-बेटियां जन्मी। 58 गांव-कालोनी ऐसे जहां लिंगानुपात 800 या इससे कम रहा। स्वास्थ्य विभाग, स्वस्थ समाज, जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय यह कि वर्ष 2021 का लिंगानुपात 918 है जबकि 2020 में 945 था। यानि 27 अंक लुढ़ककर नीचे चला गया है।

स्वास्थ्य केंद्र का नाम जन्मे बेटे जन्मी बेटियां लिंगानुपात

पीएचसी सिवाह   658     641      974

पीएचसी काबड़ी   217     203      935

पीएचसी खोतपुरा   290      275      948

सीएचसी अहर   381      367      963

पीएचसी मांडी   239      246      1029

पीएचसी नारायणा  281      290      1032

पीएचसी नौल्था 396      387       977

सीएचसी बापौली 550      515       936

पीएचसी कवि         347     324       934

पीएचसी उग्राखेड़ी 464     374       806

पीएचसी चुलकाना 324     309       954

पीएचसी समालखा 584             635       1087

पीएचसी मतलौडा 438     391        893

पीएचसी रेरकलां 314     271        863

पीएचसी पट्टी कल्याणा 290     290       1000

पीएचसी ऊझा         833             773       928

पीएचसी सींक 254     213       839

सीएचसी ददलाना 239     217       908

पीएचसी इसराना         260     194      746

21 गांव, जहां 2021 में लिंगानुपात 1400 से अधिक

जीतगढ़-3000

मछरौली-2500

छदिया-2286

खुखराना-2182

रामड़ा-1762

नवादा-1742

खलीला-1700

भैंसवाल-1571

रूपचंद कालोनी-1538

गवालडा-1522

अताउल्लापुर-1500

जीतगढ़-1500

पावटी-1480

थिराना-1478

शिमला गुजरान-1444

करहंस-1438

गांजबढ़-1429

राकसेड़ा-1426

जलालपुर द्वितीय-1423

पूठर-1400

ढिंढार-1400

22 गांव, 2021 में लिंगानुपात 700 से कम

काकोली गढ़-692

राजाखेड़ी-678

पत्थरगढ़-662

साईं कालोनी-667

बाल जाटान-657

कुटानी-645

खंदरा-636

उग्राखेड़ी-603

जौंधनकलां-588

ओसारी-571

सिंभलगढ़-556

पाथरी-500

किवाना-500

माजरा-500

डिडवाड़ी-500

कालखा-489

जीतगढ़-444

गढ़ी त्यागान-375

रामनगर-357

गढ़ी नवाब-333

रमाल-300

नंगला आर-214

इस वर्ष जिला में लिंगानुपात ने ऐसे खाए हिचकोले

जनवरी -948

फरवरी-967

मार्च-976

अप्रैल-953

मई-939

जून-937

जुलाई-933

अगस्त-926

सितंबर-930

अक्तूबर-922

नवंबर-918

दिसंबर-920

2015 से अब तक पानीपत का लिंगानुपात

साल लिंगानुपात स्थान

2015 837 10वां

2016 912 15वां

2017 945 प्रथम

2018 900 17वां

2019 939 तीसरा

2020 945 दूसरा

2021 918 नौवां

जागरूकता कार्यक्रम होंगे

पीसीपीएनडीटी(गर्भ धारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक-विनियमन तथा दुरुपयोग अधिनियम) के जिला नोडल अधिकारी डा. अमित ने बताया कि वर्ष 2021 में लिंगानुपात गिरना चिंतनीय है। जिन सीएचसी-पीएचसी एरिया में लिंगानुपात 900 से कम है, वहां जागरूकता कार्यक्रम कराए जाएंगे। इनमें रंगोली, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिता रहेंगी। आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स भी घरों में बेटा-बेटी में भेद नहीं की सीख देंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.