Move to Jagran APP

घरों से लेकर दुकानों-कारखानों में काम कर रहे हैं नाबालिग, आपरेशन मुस्‍कान खोल रही पोल

बाल श्रम की पोल आपरेशन मुस्‍कान खोल रही है। आपरेशन मुस्‍कान के तहत घरों दुकानों और कारखानों में काम कर रहे नाबालिगों को तलाशा जा रहा है। बाल श्रम के मामले कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 03:10 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 03:10 PM (IST)
पानीपत में बाल श्रम के मामले लगातार आ रहे।

पानीपत, जागरण संवाददाता। ओद्यौगिक शहर और बिहार, झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश, राजस्थान की बड़ी आबादी होने के कारण पानीपत में बाल श्रम के मामले सामने आते रहे हैं। घरों में नाबालिग लड़कियों से चौका-बर्तन का काम, टी-स्टाल, फास्ट फूड की दुकानों में बच्चे झूठे बर्तन साफ करते दिख जाएंगे। संबंधित विभागों में तालमेल नहीं होने के कारण बालश्रम का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है।

loksabha election banner

आपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस टीम जब भी किसी इलाके में पहुंचती है तो वहां से 8-10 बच्चों को बाल श्रम करते हुए पकड़ लेती है। माडल टाउन, सेक्टर 11-12, देवी मूर्ति कालोनी, सेक्टर 25 सहित दूसरे पाश एरिया में नाबालिग लड़कियों से घर की साफ-सफाई और कपड़ों की धुलाई कराने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। अनुमान है कि शहर के करीब 200 घरों में दूसरे राज्यों की नाबालिग लड़कियां काम कर रही हैं। ये सभी मानव तस्करी या प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए यहां पहुंची हैं। कालांतर में ऐसा गिरोह के सक्रिय होने का मामला भी सामने आसा था जो बच्चों से भीख मंगवा रहा था। नशा कर घूमते बच्चे भी शहर में मिल जाएंगे।

जिला की यह स्थित तब है जब डीसी सुशील सारवान भी बाल श्रम के मुद्दे पर संबंधित विभागों की बैठक बुलाकर, कड़े निर्देश दे चुके हैं। उन्होंने सभी थाना प्रभारियों को भी निर्देश दिए कि बाल श्रम को रोकने में उनकी भी भूमिका होनी चाहिए।

नहीं होती सख्त कार्रवाई

बाल श्रम करते बच्चे पकड़े तो जाते हैं, बाल कल्याण समिति काउंसलिंग करने के बाद बच्चों को माता-पिता को सौंप देती है। पुलिस बच्चों को पकड़कर तो ले आती है, लेकिन उनके बयानों पर बाल श्रम कराने वाले आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करती। यही कारण है कि छूटने के बाद बच्चे फिर से मजदूरी करने लगते हैं।

कानूनन बालश्रम है जुर्म

14 से 18 साल की उम्र के किशोर-नवयुवक परिवार की मदद के लिए मजदूरी कर सकते हैं, बशर्ते वे शिक्षा ग्रहण कर रहे हों। ऐसे बच्चों से खदानों, ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में नहीं लगाया जा सकता। संशोधित बाल श्रम अधिनियम का उल्लंघन करने वालों 6 माह से 2 साल सजा हो सकती है। 20 से 50 रुपये तक का जुर्माना या दोनों लग सकेगा।

दुकानदारों को समझाते हैं 

बाल कल्याण समिति की चेयरपर्सन एडवोकेट पदमा रानी ने बताया कि बालश्रम में पकड़े गए बच्चों के अभिभावकों को समझाया जाता है। बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने में मदद की जाती है। बाल श्रम कराने वाले को कानून के बारे में समझाया जाता है, शपथ पत्र लिया जाता है। इस साल पांच-छह केसों में मुकदमा भी दर्ज हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.