Tokyo Paralympic में इतिहास रचने के बाद कैथल लौटे हरविंदर सिंह, ऐसे हुआ स्वागत
कैथल के तीरंदाज हरविंदर सिंह ने टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीता था। पूरे छह माह बाद हरविंदर कैथल लौटे। जगह-जगह उन्हें सम्मानित किया गया। डीसी ने उन्हें ढाई करोड़ रुपये इनाम और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया।
जागरण संवाददाता, कैथल। टोक्यो पैरालिंपिक में तीरंदाजी के रिकर्व इवेंट में कांस्य पदक जीतने वाले हरविंदर सिंह शनिवार को कैथल पहुंच गए। करीब छह महीने से हरविंदर घर नहीं लौटे थे। सबसे पहले वह आरकेएसडी कालेज में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे। इस कार्यक्रम में ओलिंपियन योगेश्वर दत्त भी पहुंचे हुए थे। उसके बाद हरविंदर सिंह ढांड रोड पर एक प्राइवेट आइटीआइ में आयोजित स्वागत समारोह में आए।
कार्यक्रम में डीसी प्रदीप दहिया, सीटीएम अमित कुमार, जिला खेल अधिकारी सतविंद्र गिल और हरविंदर के स्वजन मौजूद रहे। सबसे पहले डीसी प्रदीप दहिया ने हरविंदर का स्वागत किया और उन्हें फूलों की माला पहनाई। स्वागत समारोह के बाद कैथल से जीत की खुशी में रोड शो निकालते हुए गांव अजीतनगर के लिए रवाना हुए। गांव पहुंचने तक जगह-जगह हरविंदर का स्वागत किया गया। डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि हरविंदर सिंह ने तीरंदाजी में पहला कांस्य पदक जीतकर कैथल, हरियाणा और देश का नाम रोशन किया है। मेहनत और जज्बे से एक लक्ष्य निर्धारित करके सफलता हासिल की जा सकती है।
डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि युवाओं को प्रेरणा लेकर खेलों में भी अपना स्थान बनाना चाहिए। हरविंदर सिंह ने पैरालिंपिक में पदक पूरी मेहनत से हासिल किया है। खेलों के साथ-साथ हरविंद्र उच्च स्तरीय पढ़ाई भी कर रहे हैं, जोकि काफी सराहनीय है। सरकार की तरफ से खेल नीति के तहत हरविंदर सिंह को ढाई करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
साथ में पहुंचे हरविंदर के कोच
स्वागत समारोह में हरविंदर के कोच गौरव शर्मा भी पहुंचे हुए थे। जिला प्रशासन की तरफ से कोच को सम्मानित किया गया। कोच गौरव शर्मा ने भी कहा कि हरविंदर ने पूरी मेहनत की और जीत हासिल की। पढ़ाई के साथ-साथ इनकी रूचि खेल में रही है, जोकि हरविंदर लिए काफी फायदेमंद रही। हरविंदर सिंह ने कहा कि व्यक्ति को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए और पूरी मेहनत करनी चाहिए। इस सफलता में कोच और स्वजनों का पूर्ण सहयोग रहा।
बेटे की कामयाबी पर फूले नहीं समा रहे पिता
बेटे की कामयाबी पर हरविंदर सिंह के पिता परमजीत सिंह ने कहा कि महज डेढ़ साल की उम्र में हरविंदर को बीमारी की वजह से दिव्यांगता आई। हरविंदर ने अपनी इस कमजोरी को ताकत बनाकर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। छोटे भाई अर्शदीप ने कहा कि भाई की वजह से उन्हें एक अलग पहचान मिली है।
ये रहे स्वागत समारोह में मौजूद
इस मौके पर नप एक्सईएन हिमांशु लाटका, पूर्व डीएसओ जसवंत सिंह, पूर्व कोच सुशील कुमार, सुरेंद्र कुमार, तीरंदाजी कोच सचिन कुमार, बाक्सिंग कोच गुरमीत सिंह, कोच डा. सतनाम सिंह, कोच कर्मवीर सिंह, कोच प्रशांत राय, कोच जोगिंद्र सिंह, कोच अनिल कुमार, कोच शैलेश कुमार, कोच रीटा, सुनील कुमार, कृष्ण गोयल, प्रवीण गोयल, विकास गोयल, जयप्रकाश गोयल, शीशपाल, अमृतलाल, सतविंद्र सिंह, राकेश मौजूद थे।
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें