एंबेसी का एजेंट हूं, कनाडा में लगवा दूंगा नौकरी, ऐसा कह ठगे 18.50 लाख
यमुनानगर में ठगी की वारदात सामने आई। ठग ने खुद को एंबेसी का एजेंट बताया। इसके बाद कनाडा में नौकरी दिलवाने के नाम पर साढ़े 18 लाख रुपये ठग लिए। नौकरी के नाम पर ठगी के पहले भी कई मामले सामने आए।
यमुनानगर, जेएनएन। कनाडा की पीआर दिलवाने व वर्क परमिट लगवाने का झांसा देकर गुलाबनगर निवासी दिलबाग सिंह से साढ़े 18 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। आरोपित चंडीगढ़ के सेक्टर 19 सी निवासी गुरप्रीत सिंह सहोता व उसके परिवार के लोगों पर लगा है। आरोपित ने खुद को कनाडा एंबेसी का एजेंट बताया था। किसी तरह से दिलबाग ने मकान बेचकर यह पैसे जुटाए और आरोपितों को दिए। परेशान होकर पीड़ित ने पुलिस को शिकायत दी। मामले में केस दर्ज किया गया।
पुलिस को दी शिकायत के मुताबिक, वर्ष 2015 में दिलबाग सिंह अपने मित्र भानूप्रताप के माध्यम से चंडीगढ़ के सेक्टर 19 सी निवासी गुरप्रीत सिंह सहोता से मिला था। गुरप्रीत लोगों को विदेश भेजने का काम करता है। उसने खुद को कनाडा एंबेसी का प्रतिनिधि बताते हुए एजेंट आइडी भी दिखाई। उसने परिवार सहित कनाडा की पीआर दिलवाने का झांसा दिया। अगस्त 2015 में दिलबाग अपनी साली अमनप्रीत के साथ कौर के साथ गुरप्रीत के घर गया। वहां पर आरोपित का पिता तीर्थ सिंह, भाई रमन सिंह व पत्नी मनदीप कौर भी मिले।
यहां पर उनसे बात हुई, तो उन्होंने पीआर के लिए 13 लाख रुपये का खर्च और साली के वर्क परमिट का खर्च साढ़े सात लाख रुपये बताया। दिलबाग ने इतने पैसे न होने पर इंकार कर दिया। जिस पर साढ़े 18 लाख रुपये में फाइनल सेटलमेंट हुई। आरोपित को दो सितंबर 2015 को छह लाख रुपये व दस्तावेज दे दिए। इसके बाद आरोपित ने कहा कि जैसे-जैसे दस्तावेज तैयार होकर आते रहेंगे। वह पैसे लेते रहेंगे। इस तरह से आरोपितों को साढ़े 18 लाख रुपये अलग-अलग तारीख पर दे दिए। आरोपित गुरप्रीत के पिता तीर्थ सिंह ने खुद को पंजाब डवलमेंट अथॉरिटी का कर्मचारी बताया था।
टिकट भी करा दी थी बुक
दिलबाग सिंह ने बताया कि आठ अगस्त 2016 को उनकी साली अमनप्रीत कौर की टिकट बुक कराई थी, लेकिन बाद में यह गुरप्रीत ने दस्तावेजों में कमी बताकर यह टिकट कैंसिल करा दी। फिर दोबारा टिकट कराई और वह भी कैंसिल करा दी। दो बार टिकट कैंसिल कराने पर आरोपितों पर संदेह हुआ और उनसे अपने पैसे वापस मांगे। जिस पर आरोपितों ने 28 नवंबर 2016 को साढ़े 18 लाख रुपये का चेक दिया और कहा कि जब काम हो जाएगा, तो यह चेक वापस कर देना। इस तरह से आरोपित तीन माह तक दिलासा देता रहा।
कनाडा एंबेंसी से पता कराया,तो फर्जी निकले दस्तावेज
दिलबाग सिंह के पैसे जब आरोपितों के पास फंस गए, तो उन्होंने अपने स्तर से कनाडा एंबेसी में जाकर पता किया। जहां पता लगा कि आरोपितों ने जो भी दस्तावेज दिए हैं। वह फर्जी हैं और आरोपित एंबेसी का एजेंट भी नहीं है। इसी बीच आरोपित गुरप्रीत व उसकी पत्नी मनदीप आस्ट्रेलिया फरार हो गए। उनके दिए हुए चेक को जब बैंक में लगाया, तो वह भी डिसऑर्नर हो गया। अब आरोपितों से संपर्क नहीं हो रहा है। आरोपित के पिता तीर्थ सिंह व भाई रमन से बात की, तो वह भी पैसे वापस करने का आश्वासन देते रहे। अब आरोपित पैसा नहीं दे रहे हैं।