Lockdown और मौसम ने फेरा अरमानों पर पानी, यमुना बेल्ट के मशहूर तरबूज का हाल बेहाल
यमुना बेल्ट के मशहूर खरबूजे और तरबूज का हाल बेहाल। मौसम की मार से फीकी हुई मिठास नहीं मिल रहे खरीददार। कई जगह यमुना में जल स्तर बढऩे से खराब हो गई पैदावार।
पानीपत/करनाल, [पवन शर्मा]। यमुना बेल्ट के मशहूर खरबूजे व तरबूज का हाल इस सीजन में बेहाल है। मंडियों में इनके दाम तीन-चार रुपये किलो से अधिक नहीं मिल पा रहे। इससे उत्पादक मायूस हैं। कभी मौसम की मार उनके अरमानों पर पानी फेर रही है तो कभी लॉकडाउन में लागू पाबंदियों के कारण उन्हेंं नुकसान सहना पड़ रहा है। यमुना में जल स्तर बढऩे से नदी किनारे तैयार इन फलों की बेल या तो पानी में डूब गई या बुरी तरह खराब हो गई। इससे अपने स्वाद के लिए मशहूर इन फलों की मिठास से लेकर क्वालिटी तक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। खरीददारी का ग्राफ खासा घट गया है। ऐसे में कई किसान तो हर रोज मंडी से मायूस लौटने को मजबूर हैं।
यमुनानगर से लेकर करनाल और इससे आगे पानीपत, सोनीपत होते हुए दिल्ली की राह तय करने वाली यमुना नदी के किनारे अनेक किसान हर साल खरबूजे और तरबूज की खेती करते हैं। कारण यह है कि यमुना किनारे उपजाए जाने वाले खरबूजे और तरबूज की क्वालिटी बढ़यिा होती है। इसीलिए, हरियाणा उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित कई प्रदेशों में इनकी मांग रहती है। लेकिन इस साल एक के बाद एक ऐसे तमाम कारण सामने आए, जिससे न केवल दोनों फलों की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा बल्कि, जो उत्पादन हुआ, उसकी बिक्री भी दुश्वार है।
करनाल सब्जी मंडी में हर सुबह यमुना बेल्ट से इन फलों की बड़ी खेप आती है। इन दिनों मंडियों में तीन-चार रुपये किलो के रेट पर इन्हेंं आसानी से खरीदा जा सकता है। करनाल स्थित इंडो-इजराइल सब्जी उकृष्टता केंद्र के प्रभारी डा. दीपक और फल विशेषज्ञ डा. पवन बताते हैं कि ये मौसमी फल हैं। लेकिन इस बार मौसम ने उत्पादन पर बुरा असर डाला है।
तेज बहाव में बह गई उम्मीदें
इस साल लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में यमुना में हथनीकुंड से पानी छोड़े जाने के चलते अचानक आए तेज बहाव ने इनकी पैदावार पर बुरा असर डाला। करनाल समेत तमाम जिलों में यमुना किनारे तैयार हो रही इन फलों की बेल पानी में डूब गई, जिससे उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। नतीजतन, मंडियों में पहुंची फलों की खेप की क्वालिटी खरीदारों को पसंद नहीं आई, जो कुछ बचा था उसे लाकडाउन मार गया।
हजारों किसान प्रभावित
हरियाणा में यमुनानगर से लेकर करनाल, पानीपत, सोनीपत और पलवल से गुजर रही यमुना नदी के किनारों पर हजारों किसान इन फलों की पैदावार करते हैं। इनमें अधिकांश को इस बार खासा नुकसान सहना पड़ा है। एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते दिल्ली की आजादपुर मंडी समेत अन्य राज्यों में स्टॉक नहीं ले जाने की पाबंदी के चलते इस बार इन किसानों की लागत तक नहीं निकल रही है।